अखिल भारतीय संत समिति की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में संस्कृति संसद 2023 की मंजूरी
लखनऊ। वेदांत सत्संग आश्रम, अनौरा कला चिनहट में अखिल भारतीय संत समिति को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक रविवार को संपन्न हुई। बैठक का उद्घाटन अखिल भारतीय संत समिति मुख्य निदेशक निर्मल पंचायती अखाड़ा के श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह जी , सत्पंथाचार्य श्री ज्ञानेश्वर देवाचार्य जी, महामंडलेश्वर स्वामी हरिहरानन्द जी सरस्वती एवं अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जीतेन्द्रानन्द सरस्वती ने किया। बैठक की अध्यक्षता अखिल भारतीय संत समिति मुख्य निदेशक निर्मल पंचायती अखाड़ा के श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह जी ने की।
अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जीतेन्द्रानन्द सरस्वती जी ने प्रेस को संबोधित करते हुए कहा कि 2 नवंबर को देशभर के 600 महामंडलेश्वर गंगा मां के दर्शन के उपरांत का रानी अहिल्याबाई होलकर एवं पूज्य शंकराचार्य जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के उपरांत सभी संत काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर में महारुद्र अभिषेक करेंगे। रुद्राभिषेक में तीन संकल्प लिए जाएंगे जिसमें प्रथम संकल्प राम जन्मभूमि आंदोलन के संघर्ष के बलिदानों की मुक्ति हो, दूसरा राष्ट्र की रक्षा एकता और अखंडता को अक्षुण्ण हो, तीसरा सनातन धर्म के लिए सापेक्ष जो भी सत्ता हो उसकी सत्ता में पुनर्वापसी हो। डिसमेंटलिंग ऑफ ग्लोबल हिंदुत्वा का जवाब हम संस्कृति संसद के माध्यम से विधर्मियों को देने वाले हैं। हमारे देश के कुछ लोग जॉर्ज सोरोस की गुलामी में लीन होकर हिंदू धर्म पर हमला करने में लगे हैं। बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर यादव, उत्तर प्रदेश के स्वामी प्रसाद मौर्य और कर्नाटक का साहित्यकार सी बी भगवानदास सभी जॉर्ज सोरोस के ही टूलकिट का हिस्सा हैं।
आगे उन्होंने कहा कि संस्कृति संसद की तिथियों का चयन ऐतिहासिक महत्व को ध्यान में रखकर हुआ है। 2 नवंबर 1990 को अतिरिक्त पुलिस उतारकर रामभक्तों की सुनियोजित हत्या हुई थी। 3,4 नवंबर 1966 को गौहत्या निषेध को लेकर संसद के समक्ष प्रदर्शन हुआ था। काशी में गंगा महासभा द्वारा आयोजित संस्कृति संसद के समाप्ति के उपरांत 5 नवम्बर 2023 से 15 जनवरी 2024 तक संत पूरे देश के 5 लाख गांव में घूमकर कथा प्रवचन करेंगे। इसके बाद सभी संतों को रामजन्मभूमि के लोकार्पण में अयोध्या पहुंचना है।
विहिप के केंद्रीय मंत्री अशोक तिवारी जी ने कहा कि इतिहास में दो ही समुदाय का संघर्ष बहुत लम्बा हुआ जिसमें यहूदी अपना इजरायल 1800 वर्षों के संघर्ष के उपरांत प्राप्त कर सकें तो दुसरा संघर्ष हमें 495 वर्षों का रामलला को उनके जन्मस्थान पर पुनर्स्थापन हेतु करना पड़ा। राम मंदिर के लोकार्पण में देश के सभी संतो का स्वागत है। अखिल भारतीय संत समिति अब 400 जिलों के साधु,संत, सन्यासी एवं वैरागियो के प्रतिनिधि संगठन बन चुका है। इस बैठक में केरल , तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलांगना, उड़ीसा एवं पश्चिम बंगाल समेत देश के 25 राज्यों के 50 प्रतिनिधी शामिल हुए। सनातन धर्म के सभी 127 सम्प्रदायों का अखिल भारतीय संत समिति में प्रतिनिधित्व है।
आक्रोशित संतो ने कहा, तमिलनाडु सरकार को बर्खास्त करें राष्ट्रपति
अखिल भारतीय संत समिति ने एकस्वर से तमिलनाडु सरकार को तत्काल बर्खास्त करने की मांग की है। संतों ने राष्ट्रपति से अपील की है कि तमिलनाडु में सरकारी स्तर पर चलाए जा रहे हिंदुमुक्ति अभियान का तत्काल संज्ञान लेकर वहां की सरकार को बर्खास्त करना चाहिए। लखनऊ में ही रविवार को संपन्न हुई अखिल भारतीय संत समिति की बैठक में सर्व सम्मति से यह प्रस्ताव पारित किया गया।
संत समिति के अखिल भारतीय महामंत्री स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि तमिलनाडु में सनातन धर्म उन्मूलन के लिए जो अभियान चल रहा है वह भारत के संविधान और सेकुलर लोकतांत्रिक व्यवस्था पर कुठाराघात है। वहां सनातन धर्म उन्मूलन सम्मेलन होता है और उसमे राज्य का धर्मार्थ कार्य मंत्री शेखर बाबू स्वयं उपस्थित होता है। आखिर यह क्या संदेश दिया जा रहा है। स्वामी जी ने कहा कि यह ऐसी घटना है जिसका संज्ञान लेकर उस सरकार को राष्ट्रपति को तत्काल बर्खास्त कर देना चाहिए। माननीय सुप्रीम कोर्ट को भी इस घटना का संज्ञान लेना चाहिए। तमिलनाडु में लगभग 85 हजार सनातन धर्म के मंदिर हैं। वहां लाखो की हिदू आबादी है। आखिर स्टालिन की सरकार सनातन धर्म उन्मूलन सम्मेलन जैसे आयोजन कर के क्या संदेश दे रही है।
आक्रोशित संतो ने कहा, तमिलनाडु सरकार को बर्खास्त करें राष्ट्रपति
अखिल भारतीय संत समिति ने एकस्वर से तमिलनाडु सरकार को तत्काल बर्खास्त करने की मांग की है। संतों ने राष्ट्रपति से अपील की है कि तमिलनाडु में सरकारी स्तर पर चलाए जा रहे हिंदुमुक्ति अभियान का तत्काल संज्ञान लेकर वहां की सरकार को बर्खास्त करना चाहिए। लखनऊ में ही रविवार को संपन्न हुई अखिल भारतीय संत समिति की बैठक में सर्व सम्मति से यह प्रस्ताव पारित किया गया।
संत समिति के अखिल भारतीय महामंत्री स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि तमिलनाडु में सनातन धर्म उन्मूलन के लिए जो अभियान चल रहा है वह भारत के संविधान और सेकुलर लोकतांत्रिक व्यवस्था पर कुठाराघात है। वहां सनातन धर्म उन्मूलन सम्मेलन होता है और उसमे राज्य का धर्मार्थ कार्य मंत्री शेखर बाबू स्वयं उपस्थित होता है। आखिर यह क्या संदेश दिया जा रहा है। स्वामी जी ने कहा कि यह ऐसी घटना है जिसका संज्ञान लेकर उस सरकार को राष्ट्रपति को तत्काल बर्खास्त कर देना चाहिए। माननीय सुप्रीम कोर्ट को भी इस घटना का संज्ञान लेना चाहिए। तमिलनाडु में लगभग 85 हजार सनातन धर्म के मंदिर हैं। वहां लाखो की हिदू आबादी है। आखिर स्टालिन की सरकार सनातन धर्म उन्मूलन सम्मेलन जैसे आयोजन कर के क्या संदेश दे रही है।
स्वामीनारायण संप्रदाय के आचार्य नौतन स्वामी को गुजरात प्रदेश अध्यक्ष से बर्खास्त किया गया
गुजरात में स्वामी नारायन सम्प्रदाय के एक मंदिर में भगवान शंकर, मां पार्वती और बजरंग बली की प्रतिमा से छेड़छाड़ का मामला प्रकाश में आया। सनातन धर्म के मान्य परम्परा के विरुद्ध आचरण करने वाले किसी भी व्यक्ति को स्वीकार नहीं करेंगे। गुजरात में एक संप्रदाय खुद को खुदा घोषित करने में लग गया है। बैठक का संचालन महामंडलेश्वर मनमोहन दास जी ने की। धन्यवाद ज्ञापन उत्तर प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष स्वामी अभयानंद सरस्वती ने किया।
इस अवसर पर अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष महामण्डलेश्वर जनार्दन हरि, महामण्डलेश्वर देवेन्द्रानन्द गिरि, स्वामी श्रद्धानंद सरस्वती, स्वामी भैया जी बल्लभगढ़ वाले, स्वामी निर्वानानंद, गंगा महासभा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री श्री गोविंद शर्मा, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रो. ओमप्रकाश सिंह, राष्ट्रीय मंत्री नवीन तिवारी , विक्रमादित्य सिंह एवं संजय तिवारी जी समेत पूज्य संत एवं गंगा महासभा के कार्यकर्ता उपस्थित थे।