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तालिबान सरकार ने महिलाओं की जबरन शादी पर लगाई रोक, मंत्रियों को दिया ये आदेश

 

तालिबानियों की कट्टरता किसी से छिपी नहीं है। लेकिन हाल ही में तालिबान सरकार ने महिलाओं के हित को ध्यान में रखकर एक अच्छा फैसला किया है। हालांकि इस कदम को ‘दिखावटी’ भी माना जा रहा है।

जबरन शादी पर लगाई रोक

बता दें कि अपने कट्टर कानूनों के लिए आलोचना झेलने वाले अफ़ग़ानिस्तान की तालिबान सरकार ने महिलाओं की जबरन शादी पर रोक लगा दी है। तालिबान के सर्वोच्च नेता हिबतुल्लाह अखुंजादा ने शुक्रवार को कहा कि ”सरकार ने महिलाओं की जबरन शादी पर प्रतिबंध लगा दिया है।’ कई एक्सपर्ट्स के मुताबिक ‘दुनिया के सामने अपने छवि सुधारने के लिए तालिबान ने यह घोषणा की है। असलियत में महिलाओं के साथ उसकी क्रूरता जारी रहने की आशंका है।’

न्यूनतम उम्र का नहीं किया उल्लेख

आदेश में शादी के लिए न्यूनतम उम्र का उल्लेख नहीं किया गया है। हालांकि पहले यह 16 साल निर्धारित थी। अफगानिस्तान में दशकों से महिलाओं को संपत्ति की तरह माना जाता रहा है। हत्या के बदले या विवादों अथवा कबायली झगड़ों को समाप्त करने के लिए भी बेटियों की शादी करा दी जाती है।

महिलाओं से उचित व्यवहार करने का आदेश

अब तालिबान ने कहा है कि वो इस प्रथा के खिलाफ है। तालिबान ने यह भी कहा कि किसी विधवा को अब अपने पति की मृत्यु के 17 सप्ताह बाद पुनर्विवाह करने की अनुमति होगी। तालिबान नेतृत्व का कहना है कि उसने अफगान अदालतों को महिलाओं विशेष रूप से विधवाओं के साथ उचित व्यवहार करने का आदेश दिया है।

जागरूकता फ़ैलाने की बात कही

तालिबान का कहना है कि उसने अपने मंत्रियों से महिलाओं के अधिकारों के बारे में पूरी आबादी में जागरुकता फैलाने को कहा है। बता दें कि मुल्क में अब भी सात से 12वीं कक्षा की हजारों लड़कियों को स्कूल जाने की अनुमति नहीं है और तालिबान के सत्ता में आने के बाद से अधिकतर महिलाओं के काम पर लौटने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। अगर तालिबान इन फैसलों पर सही से अमल करता है, तो अफगानिस्तान में रहने वाली महिलाओं की मुश्किलें थोड़ी कम जरूर होंगी।

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