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उत्तराखंड: धारचूला में भूस्खलन, नदियों के रौद्र रूप से बाल-बाल बची 25 लोगों की जिंदगी

पिथौरागढ़। उत्तराखंड के कई जिलों में गुरुवार रात से ही बारिश का सिलसिला जारी है। पिथौरागढ़ के धारचूला में भूस्खलन से यहां वाहन फंसे हैं। वहीं भारी बारिश से गांव के समीप थोपा नाले का जल स्तर बढ़ गया है। कीड़ा जड़ी दोहन कर वापस आने वाले 25 लोगों को जान जोखिम में डालकर रस्सी के सहारे गांव पहुंचना पड़ा।

पिथौरागढ़ जिले के टनकपुर-तवाघाट एनएच के पास धारचूला नयाबस्ती में भूस्खलन हुआ। पहाड़ी से बोल्डर और मलबा गिरने से सड़क बंद हो गई है। जिस कारण दोनों और दर्जनों वाहन और ग्रामीण फंसे हैं। कार्यदायी संस्था हिलवेज सड़क खोलने में लगी है। सड़क दोपहर तक खुलने की उम्मीद है। इसके अलावा मलबा आने से 18 से अधिक सड़कें बंद हैं।

धारचूला के दारमा घाटी में मूसलाधार बारिश से चल गांव को जोड़ने वाली धौली नदी किनारे लगी ट्राली बह गई है। इस वजह से 50 परिवारों का संपर्क कट गया है। बारिश से नालों के भी रौद्र रूप धारण करने से कीड़ा जड़ी दोहन करने गए 25 लोगों को जान जोखिम में डालकर गांव पहुंचना पड़ा।

नाले का जल स्तर बढ़ा

दारमा घाटी में बृहस्पतिवार दोपहर मूसलाधार बारिश हुई। इस दौरान गांव को जोड़ने के लिए धौली नदी किनारे बनाई गई ट्राली मलबे के साथ बह गई। इस गांव में माइग्रेशन पर गए लगभग 50 परिवार फंस गए हैं। बता दें कि चल गांव के बीच में धौली नदी पड़ती है। इस नदी पर आवागमन के लिए पहले लोहे का पुल बनाया गया था।

वर्ष 2013 की आपदा में यह पुल बह गया था। बरसात के समय यह नदी रौद्र रूप धारण कर लेती है। गांव के ममीरा चलाल ने बताया कि बृहस्पतिवार को भारी बारिश से गांव के समीप थोपा नाले का जल स्तर बढ़ गया है। कीड़ा जड़ी दोहन कर वापस आने वाले 25 लोगों को जान जोखिम में डालकर रस्सी के सहारे गांव पहुंचना पड़ा।

ग्राम प्रधान सरस्वती देवी और उप प्रधान दिनेश चलाल ने बातया कि 2013 की आपदा में लोहे का पुल बह गया था। शासन प्रशासन ने अब तक पुल नहीं बनाया है। हर साल इस तरह की परेशानी उठानी पड़ती है। ग्रामीणों को प्रवास पर आने और वापस लौटते समय दो बार लकड़ी का पुल बनाना पड़ता है। लकड़ी का पुल भी इस बार पहले ही बह गया है। लोगों ने प्रशासन से नदी में पक्का झूला पुल बनाने की मांग की है।

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