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भगोड़े नीरव मोदी को भारत लाने का रास्ता साफ़, ब्रिटेन में नहीं बचा कोई भी कानूनी विकल्प

लंदन। भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी को भारत प्रत्यर्पित किए जाने के फैसले खिलाफ ब्रिटेन की हाई कोर्ट से करारा झटका लगा है। हाई कोर्ट ने उसकी अपील खारिज कर दी है। भगोड़े कारोबारी की याचिका खारिज करते हुए लंदन में हाई कोर्ट ने नीरव मोदी को ब्रिटेन की सुप्रीम कोर्ट में अपने प्रत्यर्पण के आदेश के खिलाफ अपील दायर करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया।

लंदन में रॉयल कोर्ट ऑफ जस्टिस में गुरुवार को लॉर्ड जस्टिस जेरेमी स्टुअर्ट-स्मिथ और जस्टिस रॉबर्ट जे ने फैसला सुनाया कि “अपीलकर्ता (नीरव मोदी) के सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की अनुमति के आवेदन को अस्वीकार कर दिया गया है”।

बीते माह नौ नवंबर को लंदन में हाई कोर्ट ने नीरव मोदी को भारत को प्रत्यर्पित करने का फैसला सुनाया था। हालांकि उसने हाई कोर्ट में एक और याचिका दाखिल करके ब्रिटेन की सुप्रीम कोर्ट में अपने प्रत्यर्पण के खिलाफ याचिका दाखिल करने की मांग की थी। आज उसकी इसी अपील पर लंदन की हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया है।

उससे पहले, पिछले साल फरवरी में वेस्टमिंस्टर जज ने उसे भारत प्रत्यर्पित करने का आदेश सुनाया था। हालांकि बाद में उसे इस फैसले के खिलाफ अपील करने की मंजूरी दी गई थी। भारत लंबे समय से नीरव मोदी को भारत लाने की कोशिशों में लगा है। लेकिन ब्रिटेन की जेल में बंद नीरव मोदी अपने प्रत्यर्पण को रोकने के लिए अलग-अलग दलीलें दे रहा है।

पूर्व में ब्रिटेन में उसके वकीलों ने दलील दी थी भगोड़ा आर्थिक अपराधी डिप्रेशन का शिकार है। वह भारत की जेलों में आत्महत्या कर सकता है। ये तर्क देकर उन्होंने नीरव मोदी को भारत भेजने का विरोध किया था। हालांकि ब्रिटेन की अदालन ने पूरी सुनवाई के बाद उसकी याचिका खारिज कर दी।

इससे पहले मामले में सुनवाई के दौरान भी जस्टिस रॉबर्ट जे ने इस बात पर जोर दिया था कि भारत के ब्रिटेन के साथ अच्छे संबंध हैं। ऐसे में ब्रिटेन को 1992 की भारत-ब्रिटेन प्रत्यर्पण संधि का सम्मान करना जरूरी है।

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