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उप्र: मिशन 80 की तैयारियों में जुटी भाजपा, संगठन महामंत्री बीएल संतोष ने ली बैठक

लखनऊ। लोकसभा चुनाव 2024 में एक बार फिर केंद्र में सरकार बनाने के लिए भाजपा का सबसे ज्यादा फोकस उत्तर प्रदेश पर है। उसकी वजह यह है कि उप्र देश को सबसे अधिक (80) सांसद देने वाला प्रदेश है। यही कारण है कि भाजपा उप्र में अपने संगठन को मजबूत करने और अपनी रणनीतियों को धार देने में जुटी है। भाजपा ने प्रदेश के सभी 80 सीटों को जीतने का ‘मिशन 80’ का लक्ष्य रखा है।

इसी को लेकर पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) बीएल संतोष दो दिन के उप्र प्रवास पर हैं। पहले दिन पदाधिकारियों के साथ लोकसभा चुनाव के लिए रोडमैप तैयार करने के बाद बीएल संतोष आज रविवार को दूसरे दिन लखनऊ स्थित भाजपा कार्यालय में कार्यकर्ताओं की प्रशिक्षण टोली के साथ बैठक कर रहे हैं। बीएल संतोष भाजपा के अगस्त से शुरू होने वाले प्रशिक्षण कार्यक्रम पर बैठक कर रहे हैं।

बता दें कि भाजपा यूपी में सात अगस्त से प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाएगी। इसके तहत क्षेत्रीय स्तर पर निकाय और पंचायत प्रतिनिधियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके बाद प्रशिक्षकों की टोली को यूपी से हरियाणा में प्रशिक्षण के लिए भेजा जाएगा। भाजपा राष्ट्रीय संगठन महामंत्री की बैठक में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी और महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह भी मौजूद हैं।

पहले दिन नया वोट बैंक बनाने पर हुई चर्चा

बैठक के पहले दिन बीएल संतोष ने कहा कि लोकसभा चुनाव में सभी 80 सीटें जीतने के लिए अब बूथ पर जातीय समीकरण के लिहाज से मजबूती हासिल करनी है। उन्होंने कहा कि युवा, महिला, शिक्षक, ट्रक डाइवर, टैक्सी ड्राइवर, डिलीवरी मैन, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और संविदा कर्मियों के बीच नया वोट बैंक बनाना है।

उन्होंने कहा कि टैक्सी ड्राइवर और डिलीवरी मैन बड़ा वोट बैंक हैं, उन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। बड़े शहरों में इनकी संख्या 80 हजार से एक लाख तक है। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार प्रत्येक जाति के लोगों से संपर्क करना है, उन्हें जोड़ने का प्रयास करना है।

उन्होंने कहा कि पार्टी के पदाधिकारी संगठन के काम के अलावा भी व्यापारियों, खिलाड़ियों, किसानों और समाज के विभिन्न वर्ग के बीच जाकर बातचीत करें। छोटे छोटे समूहों से संवाद स्थापित करें, उन्हें यह लगना चाहिए कि भाजपा केवल राजनीतिक दल नहीं बल्कि एक सामाजिक संगठन भी है। पार्टी के कार्यकर्ता की पहचान केवल एक नेता के रूप में नहीं बल्कि सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में भी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव के लिए बूथ की मजबूती पर ध्यान देना है।

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