उत्तराखंड में हर साल 1.4 मीटर खिसक रही ट्री लाइन, हिमालयी पर्यावरण संस्थान की ताजा रिपोर्ट में खुलासा
हिमालय में जलवायु परिवर्तन का असर हर तरफ देखने को मिल रहा है. जीबी पंत हिमालयी पर्यावरण संस्थान की रिसर्च बताती है कि तापमान बढ़ने से हिमालय बेल्ट में ट्री लाइन ऊपरी इलाकों में खिसक रही है. उत्तराखंड में भी इसका असर पिछले कुछ समय में दिखाई दे रहा है. बीते कुछ सालों में ग्लोबल वार्मिंग का असर देश और दुनिया के हर हिस्से मे दिखा है. यही वजह है कि कड़कड़ाती ठंड के साथ ही जान लेती गर्मी और भारी बरसात, हर साल तांडव मचा रही है.
हर साल 1.4 मीटर खिसक रही ट्री लाइन
हिमालयी पर्यावरण संस्थान की ताजा रिसर्च भी इस बात की तस्दीक कर रही है कि हिमालया में पर्यावरण खासा प्रभावित हुआ है. संस्थान ने तुंगनाथ में 32 सौ से 37 सौ मीटर की ऊंचाई पर ये स्टडी की है. 5 सालों की इस स्टडी में पाया गया कि ट्री बेल्ट हर साल 1.4 मीटर ऊपरी इलाकों की ओर खिसक रही है. उत्तराखंड में ट्री लाइन या टिंबर लाइन करीब 2750 किमी लंबी है. रिसर्चर और हिमालयी पर्यावरण संस्थान के सीनियर साइंटिस्ट डॉ. जीसीएस नेगी ने बताया कि शोध में जो नतीजे आए हैं, उससे साफ साबित हो रहा है कि हिमालयी क्षेत्र में पारा लगातार चढ़ रहा है, जिससे बर्फीला इलाका हर साल कम हो रहा है.
हर साल चढ़ रहा है हिमालया में पारा
पर्यावरण में हो रहे इस बदलाव का सबसे अधिक प्रभाव पश्चिमी हिमालय पर पड़ रहा है. यही वजह है कि बीते 20 सालों में पश्चिमी हिमालया में हर साल पॉइंट 11 डिग्री तापमान का इजाफा हुआ है. लगातार बढ़ रहे तापमान का असर सबसे अधिक पेड़-पौधों के पर पड़ रहा है. यही नहीं बढ़ता पारा चारागाह और जड़ी-बूटियों के लिए भी खतरनाक साबित हो रहा है. संस्थान ने 5 सालों तक सफेद बुरांस पर ये रिसर्च की है. जिससे साबित हो रहा है कि हर साल ट्री लाइन बढ़ रही है.
ग्लेशियर्स के आस-पास किसी भी प्रकार के पेड़-पोधें नही होते हैं लेकिन रिसर्च में जो नतीजे सामने आए हैं, उससे साफ है कि बर्फ की चादर साल दर साल कम हो रही है. ऐसे में हिमालय को बचाने के गंभीर प्रयास किया जाना बेहद जरूरी होता जा रहा है. गौरतलब है कि ट्री लाइन को टिंबर लाइन भी कहा जाता है. ट्री लाइन हिमालयी राज्यों में अलग-अलग ऊंचाई पर होती है. यह समुद्री सतह से ऊंचाई के आधार पर पेड़ों के उगने की अंतिम सीमा है. हिमालयी क्षेत्रों में ट्री लाइन के बाद पेड़ नहीं उगते हैं.