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सुकून एंपायर विवाद: NHRC ने मांगा महाराष्ट्र सरकार से जवाब, उठे धार्मिक भेदभाव के सवाल

मुंबई: महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई से करीब 100 किलोमीटर दूर नेरल में बन रहा ‘सुकून एंपायर’ हाउसिंग प्रोजेक्ट इन दिनों विवादों के घेरे में है। इस प्रोजेक्ट का एक प्रमोशनल वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें इसे ‘हलाल लाइफस्टाइल टाउनशिप’ के रूप में पेश किया गया। वीडियो में दावा किया गया कि यह प्रोजेक्ट खासतौर पर मुस्लिम समुदाय के लिए है, जहां परिवार अपने धार्मिक तौर-तरीकों से समझौता किए बिना रह सकेंगे और बच्चे ‘हलाल माहौल’ में बड़े होंगे।

NHRC की सख्ती

इस वीडियो पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने संज्ञान लिया है। आयोग का कहना है कि इस तरह का प्रचार मानवाधिकार नियमों और रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट एक्ट (RERA) के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करता है। एनएचआरसी के सदस्य प्रियंक कानूनगो ने वीडियो साझा करते हुए इसे “नेशन विदिन द नेशन” करार दिया और महाराष्ट्र सरकार से जांच की मांग की। आयोग ने राज्य सरकार से दो हफ्ते के भीतर रिपोर्ट देने को कहा है।

कंपनी और बुकिंग पैटर्न

‘सुकून एंपायर’ को रिफा स्ट्रक्चरल सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड विकसित कर रही है, जिसने इससे पहले ‘सुकून रेजीडेंसी’ प्रोजेक्ट भी बनाया था। सूत्रों के अनुसार, कंपनी मुस्लिम समुदाय के लिए विशेष स्कीम पेश कर रही है, जिसमें डाउन पेमेंट के बाद शेष राशि आसान किस्तों में सीधे बिल्डर को दी जा सकती है, बैंक लोन की जरूरत नहीं होगी।जानकारी के मुताबिक, ‘सुकून रेजीडेंसी’ के 78 फ्लैट्स में से 72 और ‘सुकून एंपायर’ की अब तक की 12 बुकिंग्स सभी मुस्लिम ग्राहकों द्वारा की गई हैं। हालांकि, कंपनी ने विवाद पर अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। विवाद बढ़ने के बाद प्रमोशन वीडियो और संबंधित सोशल मीडिया प्रोफाइल्स हटा दिए गए हैं।

राजनीतिक घमासान

मामले ने राजनीतिक और सामाजिक बहस को तेज कर दिया है। शिवसेना (शिंदे गुट) के संजय निरुपम ने इसे “हाउसिंग जिहाद” कहा।एनसीपी (शरद पवार गुट) के रोहित पवार* ने टिप्पणी की, “यह देश हर धर्म और समुदाय का है। धर्म के आधार पर विज्ञापन देना संविधान के खिलाफ है और इसे रोका जाना चाहिए।बीजेपी विधायक अतुल भातखलकर ने उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को पत्र लिखकर ऐसे विज्ञापनों पर तत्काल रोक लगाने और कड़ी कार्रवाई की मांग की। उन्होंने इसे समाज में वैमनस्य फैलाने और “जमीन जिहाद” को बढ़ावा देने वाला बताया।अब निगाहें महाराष्ट्र सरकार की रिपोर्ट और कार्रवाई पर टिकी हैं। सवाल यह है कि क्या यह प्रोजेक्ट पूरी तरह रुक जाएगा या इसे नए सिरे से पेश किया जाएगा। आने वाले दिनों में स्थिति स्पष्ट होगी।

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