SYL विवाद: केंद्र की मध्यस्थता में पंजाब-हरियाणा के बीच अहम बैठक, सीएम मान बोले- ‘बातचीत का माहौल सकारात्मक’

नई दिल्ली/चंडीगढ़ – वर्षों से लंबित सतलुज-यमुना लिंक (SYL) नहर विवाद पर आज एक बार फिर पंजाब और हरियाणा के बीच अहम बैठक हुई। यह बैठक दिल्ली में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी. आर. पाटिल की अध्यक्षता में आयोजित की गई। बैठक के बाद पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने मीडिया को संबोधित करते हुए बताया कि बातचीत सकारात्मक रही और आगे समाधान की उम्मीद बनी है।
सीएम भगवंत मान बोले – “बातचीत से समाधान की उम्मीद”
सीएम मान ने कहा, “SYL का मुद्दा लंबे समय से चला आ रहा है और फिलहाल यह मामला सुप्रीम कोर्ट में भी लंबित है। आज की बैठक सौहार्दपूर्ण वातावरण में हुई। दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों और केंद्रीय जल शक्ति मंत्री के बीच चर्चा सकारात्मक रही है। कुछ मुद्दों पर सहमति बनी है और आगे समाधान की दिशा में बढ़ा जा सकता है।”
उन्होंने यह भी बताया कि सुप्रीम कोर्ट में 13 अगस्त को मामले की अगली सुनवाई होनी है। “इससे पहले कोर्ट ने बातचीत के जरिये समाधान तलाशने की बात कही थी। उसी दिशा में हमने बैठकें की हैं और उम्मीद है कि भविष्य में भी सकारात्मक कदम उठाए जाएंगे।”
राजनीतिक मुद्दा बना दिया गया है
सीएम मान ने SYL विवाद को एक राजनीतिक मुद्दा करार देते हुए कहा, “ये विवाद हमें विरासत में मिला है। पंजाब और हरियाणा के आम नागरिकों के बीच कोई टकराव नहीं है, लेकिन राजनीतिक दलों ने इस मुद्दे को आपसी संघर्ष का रूप दे दिया। मैंने पंजाब का पक्ष मजबूती से रखा है और उम्मीद है कि केंद्र सरकार इस पर विचार करेगी। साथ ही पंजाब में पानी की कमी का भी नए सिरे से आंकलन किया जाना चाहिए।”
SYL विवाद: एक नजर में इतिहास और टकराव की जड़ें
1966 से चल रहा है विवाद:
पंजाब और हरियाणा के बीच SYL नहर को लेकर विवाद 1966 में हरियाणा के गठन के साथ ही शुरू हो गया था। उस समय पंजाब से अलग होकर बने हरियाणा को पानी में हिस्सा नहीं मिला, जबकि अन्य संसाधनों का बंटवारा हो गया।
1976 में हुआ जल बंटवारे का समझौता:
केंद्र सरकार ने 1976 में पंजाब के 7.2 एमएएफ (मिलियन एकड़ फीट) पानी में से 3.5 एमएएफ पानी हरियाणा को देने की अधिसूचना जारी की। इसके बाद पंजाब में विरोध शुरू हो गया।
1982 में हुआ नहर का शिलान्यास:
8 अप्रैल 1982 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पटियाला के कपूरई गांव में SYL नहर का शिलान्यास किया। हालांकि, इसके बाद निर्माण कार्य बार-बार बाधित होता रहा।
1985 में लोंगोवाल-अकॉर्ड, फिर बढ़ा तनाव:
1985 में प्रधानमंत्री राजीव गांधी और अकाली नेता संत हरचंद सिंह लोंगोवाल के बीच एक नए समझौते पर दस्तखत हुए। लेकिन एक महीने के भीतर लोंगोवाल की आतंकियों ने हत्या कर दी, जिससे माहौल और बिगड़ गया।
90 के दशक में नहर निर्माण पर फिर से रोक
1988 में मजत गांव के पास नहर निर्माण में लगे मजदूरों की हत्या और 1990 में अभियंताओं की हत्या के बाद पंजाब में नहर निर्माण पूरी तरह रुक गया।
हरियाणा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया
1996 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका
हरियाणा सरकार ने 1996 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। कोर्ट ने 2002 में पंजाब को एक साल में नहर निर्माण पूरा करने का आदेश दिया।पंजाब की याचिका खारिज, कानून बना दिया4 जून 2004 को पंजाब सरकार ने फैसले के खिलाफ याचिका दायर की, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। इसके बाद पंजाब विधानसभा ने ‘Punjab Termination of Agreements Act, 2004’ पारित कर सभी जल समझौतों को रद्द कर दिया।
आज की स्थिति: हरियाणा में नहर तैयार, पंजाब में अधूरा निर्माण
सतलुज-यमुना लिंक नहर हरियाणा में लगभग 90 किमी तक बन चुकी है, जबकि पंजाब में 121 किमी हिस्से का निर्माण अब भी अधूरा है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे को लेकर पहले भी पंजाब सरकार पर नाराजगी जाहिर की है।अब जबकि केंद्र सरकार की मध्यस्थता से दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री बातचीत की टेबल पर हैं, उम्मीद की जा रही है कि दशकों पुराने इस विवाद का समाधान निकल सकेगा।