कानपुर CMO की कुर्सी पर उठा बवंडर थमा, डॉ. नेमी की विदाई, डॉ. उदयनाथ ने संभाला कार्यभार

कानपुर। कानपुर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) कार्यालय में दो दिनों तक चले तनावपूर्ण हाई वोल्टेज ड्रामे के बाद कुर्सी को लेकर चल रहा विवाद समाप्त हो गया। डॉ. उदयनाथ ने प्रशासनिक अधिकारियों और पुलिस बल की मौजूदगी में गुरुवार को CMO की कुर्सी पर कब्जा कर लिया। इस दौरान लखनऊ से मिले निर्देशों ने इस मामले में निर्णायक भूमिका निभाई।
CMO डॉ. उदयनाथ ने कहा, “मैंने 20 जून को कानपुर में CMO के रूप में जॉइनिंग की थी। कोई व्यक्ति बीच में आकर कुर्सी पर कब्जा कर ले, यह पूरी तरह गलत है। मैंने लखनऊ में मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव से बात की थी। मुझे स्पष्ट निर्देश मिले कि डॉ. नेमी को समझाया जाए, और यदि वह नहीं मानें तो उन्हें कुर्सी से हटाया जाए। मैं शुरू से ही जिलाधिकारी के निर्देशों पर फील्ड में काम कर रहा हूं और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों की व्यवस्थाओं को बेहतर करने पर ध्यान दे रहा हूं।”
वहीं, कार्यालय से बाहर आए डॉ. हरिदत्त नेमी गुस्से में नजर आए। उन्होंने कहा, “मुझ पर प्रशासन और शासन ने भारी दबाव बनाया, जिसके चलते मुझे कुर्सी छोड़नी पड़ी। मेरे खिलाफ शुरू की गई जांच सिर्फ दिखावे की है। 18 अगस्त को कोर्ट में सुनवाई होनी है, और इसके लिए कुछ तो दिखाना था, इसलिए यह जांच शुरू की गई। इसमें कोई ठोस आधार नहीं है।”
यह विवाद गुरुवार को उस समय चरम पर पहुंच गया, जब दोपहर 2:43 बजे डॉ. उदयनाथ अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट (ADM), सहायक पुलिस आयुक्त (ACP) और पुलिस बल के साथ CMO कार्यालय पहुंचे। इसके बाद दोनों पक्षों के बीच तनावपूर्ण माहौल में बातचीत हुई, जिसके परिणामस्वरूप डॉ. नेमी ने कुर्सी छोड़ दी।
*डॉ. हरिदत्त नेमी से सवाल-जवाब ?*
*सवाल:* आपने CMO कार्यालय छोड़ दिया है, अब आगे की रणनीति क्या होगी?
*जवाब:* अभी मैंने कोई रणनीति तय नहीं की है। प्रशासन ने जो किया, वह सभी ने देखा। मैं वहां जाऊंगा, जहां से मुझे राहत मिलने की उम्मीद होगी। कोर्ट में अगली सुनवाई पर पूरे घटनाक्रम को रखा जाएगा।
*सवाल:* बंद कमरे में आप, डॉ. उदयनाथ और पुलिस के बीच क्या बात हुई?
*जवाब:* बंद कमरे में मुझ पर शासन और प्रशासन ने दबाव बनाया। उन्होंने कहा कि जब तक शासन का नया आदेश नहीं आता, मुझे कुर्सी छोड़नी होगी। इसीलिए मैंने कुर्सी छोड़ दी।
*सवाल:* आपके खिलाफ जांच शुरू की गई है, इस पर क्या कहेंगे?
*जवाब:* यह जांच निलंबन से पहले होनी चाहिए थी। कोर्ट की तारीख नजदीक है, इसलिए दिखावे के लिए यह जांच शुरू की गई है। इसमें कुछ खास नहीं है।
*सवाल:* क्या आप सरकारी आवास भी छोड़ देंगे?
*जवाब:* मैं अभी कानपुर में ही तैनात हूं। ट्रांसफर होने पर सरकारी आवास छोड़ने के लिए तीन महीने का समय मिलता है, इसलिए अभी आवास मेरे पास रहेगा।
*सवाल:* कोर्ट में अब मामले को कैसे ले जाएंगे?
*जवाब:* अभी इस पर विचार नहीं किया है, लेकिन जहां से राहत मिलने की संभावना होगी, वहां जरूर जाऊंगा।
*सवाल:* क्या लखनऊ या कानपुर के DM से कोई बात हुई?
*जवाब:* नहीं, मुझसे किसी ने संपर्क नहीं किया। प्रशासन और पुलिस ने ही मुझ पर दबाव बनाया।
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*डॉ. उदयनाथ से सवाल-जवाब ?*
*सवाल:* आप अब कानपुर के CMO हैं, विभाग को कैसे चलाएंगे?
*जवाब:* मैं 20 जून से ही कानपुर का CMO हूं। कोई जबरदस्ती कुर्सी पर बैठ जाए, यह गलत है। मैं जिलाधिकारी के निर्देशों पर नियमित रूप से फील्ड में काम कर रहा हूं। मेरा ध्यान सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों की व्यवस्थाओं को सुधारने और स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने पर है।
*सवाल:* क्या आपको इतने बड़े विवाद की उम्मीद थी?
*जवाब:* हां, जब मुझे नियुक्ति का आदेश मिला, तभी मैं समझ गया था कि यहां समस्याएं होंगी। मुझे कार्यालय के अंदर और बाहर दोनों से चुनौतियों का सामना करना होगा। 9 जुलाई को मैंने स्थिति को और करीब से देखा।
*सवाल:* जब डॉ. नेमी कुर्सी पर थे, तब आपने लखनऊ से बात की थी?
*जवाब:* हां, मैंने मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव से बात की थी। इसके बाद जिलाधिकारी को निर्देश मिले कि डॉ. नेमी को समझाया जाए, और यदि वह नहीं मानें तो उन्हें कुर्सी से हटाया जाए।
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*दो दिन का घटनाक्रम*
*पहला दिन (9 जुलाई):* सुबह 9:30 बजे डॉ. हरिदत्त नेमी अचानक CMO कार्यालय पहुंचे और कुर्सी पर बैठ गए। सुबह 10 बजे डॉ. उदयनाथ कार्यालय पहुंचे, लेकिन कुर्सी पर नेमी को देखकर उन्होंने दूसरी कुर्सी पर बैठकर काम शुरू किया। नेमी ने दावा किया कि उनके पास हाईकोर्ट का स्टे ऑर्डर है और उदयनाथ को अपनी मूल पोस्ट पर वापस जाना होगा। उदयनाथ ने लखनऊ में स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव से बात की। दोपहर 2 बजे उदयनाथ फील्ड निरीक्षण के लिए निकल गए। शाम 4 बजे नेमी ने उदयनाथ की नेमप्लेट हटवा दी और शाम 6 बजे अपने सरकारी आवास चले गए।
*दूसरा दिन (10 जुलाई):* सुबह 9:30 बजे डॉ. नेमी ने फिर से कार्यालय में काम शुरू किया। दोपहर 3:30 बजे डॉ. उदयनाथ ADM, ACP और पुलिस बल के साथ कार्यालय पहुंचे। करीब आधे घंटे तक बंद कमरे में मीटिंग चली। पुलिस ने नेमी को समझाया कि उनके पास शासन का कोई नया आदेश नहीं है, जबकि डॉ. उदयनाथ के पक्ष में शासनादेश है। इसके बाद नेमी ने कुर्सी छोड़ दी और कार्यालय से चले गए।
*डॉ. हरिदत्त नेमी के खिलाफ जांच ?*
प्रमुख सचिव (चिकित्सा) पार्थ सारथी ने बताया कि डॉ. हरिदत्त नेमी को कानपुर से हटाकर महानिदेशक कार्यालय से संबद्ध किया गया है। उनके खिलाफ विभागीय जांच के आदेश जारी किए गए हैं। निदेशक (प्रशासन), चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं, लखनऊ को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया है। जांच में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के दिशा-निर्देशों का पालन न करने, वित्तीय अनियमितताओं और कमजोर प्रशासनिक नियंत्रण के आरोप शामिल हैं। जांच अधिकारी को एक महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपनी होगी। नेमी को जांच में पूरा सहयोग करने का निर्देश दिया गया है।
*आखिर क्या थी इस पूरे विवाद की जड़ ?*
यह पूरा विवाद 19 जून को शुरू हुआ, जब जिलाधिकारी की सिफारिश पर शासन ने डॉ. हरिदत्त नेमी को निलंबित कर दिया और श्रावस्ती के ACMO डॉ. उदयनाथ को कानपुर का नया CMO नियुक्त किया। उदयनाथ ने 20 जून को जॉइनिंग कर ली। दूसरी ओर, नेमी ने निलंबन के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की और स्टे ऑर्डर हासिल कर लिया। इसके आधार पर 9 जुलाई को वह CMO कार्यालय पहुंचे और कुर्सी पर कब्जा कर लिया। इसके बाद दोनों अधिकारियों के बीच कुर्सी को लेकर तनातनी शुरू हुई।
9 जुलाई को जब उदयनाथ ने नेमी को कुर्सी पर बैठे देखा, तो उन्होंने कहा, “यहां से उठिए।” इस पर हल्की बहस हुई, लेकिन नेमी नहीं हटे। उन्होंने कार्यालय के बाहर अपनी नेमप्लेट भी लगवा दी। अंततः गुरुवार को प्रशासन और पुलिस के हस्तक्षेप के बाद यह विवाद समाप्त हुआ।
*अब क्या होगी आगे की राह ?*
यह मामला अब कोर्ट में अगली सुनवाई और विभागीय जांच के नतीजों पर निर्भर है। डॉ. नेमी ने संकेत दिए हैं कि वह कोर्ट में अपनी बात रखेंगे और राहत की उम्मीद करेंगे। वहीं, डॉ. उदयनाथ ने कहा कि वह कानपुर में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने पर ध्यान केंद्रित करेंगे। इस घटनाक्रम ने प्रशासनिक प्रक्रियाओं और शासनादेशों के पालन पर कई सवाल खड़े किए हैं, जिनका जवाब आने वाले दिनों में मिल सकता है।