सावन की शुरुआत के साथ शिवालयों में उमड़ा भक्तों का सैलाब, कांवड़ यात्रा भी हुई आरंभ – सुरक्षा और व्यवस्था के कड़े इंतजाम

सावन मास की पवित्र शुरुआत शुक्रवार से हो चुकी है। देशभर के शिव मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना और धार्मिक अनुष्ठानों का दौर शुरू हो गया है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, इस पूरे महीने भगवान शिव की आराधना से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। यही कारण है कि आज सुबह से ही मंदिरों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी है।
सावन के पहले दिन से ही कांवड़ यात्रा का भी शुभारंभ हो गया है, जो 9 अगस्त तक चलेगी। हरिद्वार से शुरू होने वाली इस 28 दिवसीय यात्रा में करीब 4.5 करोड़ श्रद्धालुओं के भाग लेने की संभावना जताई जा रही है। हजारों की संख्या में शिव भक्त कंधे पर कांवड़ उठाए पवित्र गंगाजल के साथ अपनी मंजिल — शिव मंदिरों की ओर प्रस्थान कर चुके हैं। हरिद्वार की हर की पौड़ी और अन्य घाटों पर आस्था का अद्भुत नजारा देखने को मिल रहा है।
यात्रा को सुरक्षित और व्यवस्थित बनाने के लिए दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकारों ने विशेष तैयारियां की हैं। कांवड़ मार्ग पर सुरक्षा के सख्त इंतजाम किए गए हैं। पूरे रूट पर पुलिसकर्मी तैनात हैं और CCTV कैमरों से निगरानी की जा रही है। खाद्य सुरक्षा विभाग खाने-पीने की दुकानों की नियमित जांच कर रहा है और नॉन-वेज दुकानों को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है ताकि धार्मिक मर्यादा बनी रहे।
इस बीच, गाजियाबाद में कांवड़ मार्ग पर मीट की दुकानों के खुले रहने पर स्थानीय बीजेपी विधायक नंद किशोर गुर्जर ने सख्त नाराजगी जाहिर की। उन्होंने पुलिस को फटकार लगाते हुए निर्देश दिए कि ऐसे दुकानों पर तुरंत कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा, “कांवड़ शुरू हो चुका है, सावन का पावन महीना चल रहा है, मीट की दुकानों का कोई औचित्य नहीं बचता। यदि प्रशासन कार्रवाई नहीं करेगा तो जनता कानून अपने हाथ में ले सकती है।”
उधर, उत्तर प्रदेश के मुरादनगर के गंगनगर क्षेत्र में कांवड़ मार्ग पर हिंदू रक्षा दल के कार्यकर्ता तैनात किए गए हैं। संगठन के गौरव सिसोदिया का कहना है कि कुछ असामाजिक तत्व कांवड़ यात्रा में शामिल महिलाओं से दुर्व्यवहार करते हैं, जिसे रोकने के लिए उनकी टीम सुरक्षा सुनिश्चित कर रही है।सावन के पहले ही दिन से ही श्रद्धा, सुरक्षा और सतर्कता का संगम देखने को मिल रहा है। करोड़ों भक्तों की आस्था से जुड़ी यह यात्रा न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक समरसता और अनुशासन की मिसाल बन रही है।