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गोरखपुर इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट के बीटेक द्वितीय वर्ष डेटा साइंस के छात्रों ने बनाया रिमोट कंट्रोल पटाखा, नहीं होगा वायु प्रदूषण

गोरखपुर। गोरखपुर इंस्टिट्यूटऑफ़ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट गीडा गोरखपुर के बीटेक द्वितीय वर्ष डेटा साइंस के चार छात्रों ने मिलकर ऐसा बुलडोजर पटाखा बनाया हैं. जिससे किसी भी प्रकार का वायु प्रदूषण या सेहत को नुकसान नहीं होगा.इस पटाखों को छात्रों ने प्रदुषण रहित बुलडोजर बम का नाम दिया हैं. इस बुलडोज़र टॉय के माध्यम सें बच्चे सुरक्षित रहकर ग्रीन पटाखे जला सकेंगे.ये बुलडोजर पटाखे रिमोट कंट्रोल से भी संचालित होंगे और इन्हें माचिस सें भी जलाया जा सकता हैं.

छात्रा शाम्भवी मिश्रा ने बताया हम लोंगो ने मिलकर बुलडोजर पटाखों के दो मॉडल तैयार किये हैं एक हैं ग्रीन बुलडोजर जिसमें प्रदुषण रहित इलेक्ट्रिक पटाखे लगे है इसे एक खिलौने के रिमोट के माध्यम सें बच्चे पटाखे का आनंद लें सकतें है बस एक बटन दबाना है और पटाखे जलने लगेंगे और वो भी बिना पर्यावरण को नुकसान पहुंचाये.

तान्या प्रजापति ने बताया इस बुलडोजर खिलौने के माध्यम सें बच्चे सामान्य पटाखों को सुरक्षित रहकर दूर सें जला सकतें है इसे बच्चे सुरक्षित रह कर दीवाली के पटाखों को जला सकते हैं. प्रति वर्ष देश भर में दीवाली के दिन हजारों बच्चे और बड़े लोग पटाखों सें गंभीर रूप सें जख़्मी हों जाते है.इन्हीं समस्याओं को ध्यान में रखते हुए हम लोंगो ने बच्चों की सुरक्षा के लिये बुलडोजर पटाखे बनाये हैं.

शीतल गुप्ता ने बताया बुलडोजर पटाखे की अच्छी बात ये हैं की ये पटाखे एक टॉय की तरह बुलडोजर के सकल में हैं और इसमें 100% किसी भी तरह का नुक्सानदायक विस्फोटक रसायन पदार्थ नहीं हैं | जिससे वायु प्रदुषण या पर्यावरण को कोई नुकसान पहुँचे. बुलडोजर पटाखे तेज स्पार्क के साथ आवाज करेगा जो सामान्य पटाखों से रोमांच और गुणवत्ता में बिल्कुल भी कम नहीं हैं. बुलडोजर बम की खास बात यह है कि एक बार इन पटाखों को लेने के बाद कई वर्षों तक इनका इस्तेमाल किया जा सकेगा.

वहीं छात्र अंशित श्रीवास्तव ने बताया बुलडोजर पटाखे को किसी भी मोबाइल के चार्जर सें चार्जिंग कर बच्चे पटाखे का आवाज निकलने के साथ छोटे – छोटे पटाखों को रिमोट कंट्रोल के माध्यम सें बुलडोजर में रख कर जाला सकतें हैं. बच्चों के पटाखे ख़त्म हों जाये तब भी एक बार चार्ज करने पर बुलडोजर 2000 बार स्पार्क के साथ पटाखे जैसे आवाज निकाल सकता हैं. संस्थान के निदेशक डॉ एन के सिंह का कहना है कि इन पटाखों से प्रदूषण को कम किया जा सकता है और वहीं यह पटाखे चाइनीज तकनीकी को पीछे कर देंगे।

इससे प्रदूषण के साथ ही बच्चे सुरक्षित रहेंगे देश भर में पटाखों सें होने वाली दुर्घनाओं को भी रोका जा सकता है.ऐसे में हमारे छात्रों द्वारा बनाये गये पटाखे बच्चों को पटाखों सें होने वाली दुर्घटना सें सुरक्षित रखेंगे.पटाखों का ट्रायल किया जा चुका हैं जल्द ही इस तरह के पटाखे बाजार में लाये जायेंगे. छात्रा शीतल ने बताया इसे बनाने में हमें 2 महीने का समय लगा हैं और लगभग, 850 रूपये का खर्च आया हैं.इसे बनाने में रिमोट सर्किट, रिले 5 वोल्ट, गियर मोटर, ट्रांसफार्मर, बैटरी 7 वोल्ट, थ्रीड़ी प्रिंटर, हिटिंग प्लेट, इत्यादि का इस्तेमाल कर तैयार किया हैं.

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