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स्पीकर चुने जाने के बाद ओम बिरला ने सदन में की इमरजेंसी की निंदा, विपक्ष का हंगामा

नई दिल्ली। स्पीकर चुने जाने के बाद ओम बिरला ने सदन में इमरजेंसी की याद दिलाई और इसकी निंदा की। उन्होंने कहा- इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी लगाकर अंबेडकर द्वारा बनाए गए संविधान का अपमान किया था। स्पीकर के प्रस्ताव रखते ही पक्ष और विपक्ष के सांसदों ने नारेबाजी शुरू कर दी।स्पीकर ओम बिरला इमरजेंसी के दौरान जान गंवाने वालों की याद में दो मिनट का मौन रखने को कहा। सत्ता पक्ष के सांसदों ने मौन रखा, लेकिन कांग्रेस और विपक्ष के सांसद हंगामा करते रहे। कांग्रेस सांसदों का आरोप था कि स्पीकर भाजपा का एजेंडा चला रहे हैं। मौन के बाद स्पीकर ने गुरुवार तक के लिए संसद को स्थगित कर दिया।

ओम बिरला ने कहा कि ये सदन 1975 में देश में इमरजेंसी लगाने के निर्णय की कड़े शब्दों में निंदा करता है। इसके साथ ही हम उन सभी लोगों की संकल्पशक्ति की सराहना करते हैं। जिन्होंने इमरजेंसी का पुरजोर विरोध किया, अभूतपूर्व संघर्ष किया और भारत के लोकतंत्र की रक्षा का दायित्व निभाया। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि इमरजेंसी ने भारत के कितने ही नागरिकों का जीवन तबाह कर दिया था। कितने ही लोगों की मृत्यु हो गई थी। इमरजेंसी के उस काले कालखंड में, कांग्रेस की तानाशाह सरकार के हाथों अपनी जान गंवाने वाले भारत के ऐसे कर्तव्यनिष्ठ और देश से प्रेम करने वाले नागरिकों की स्मृति में हम दो मिनट का मौन रखते हैं।

बिरला ने कहा कि 1975 में आज के ही दिन तब की कैबिनेट ने इमरजेंसी का पोस्ट-फैक्टो रेटिफिकेशन किया था। इस तानाशाही और असंवैधानिक निर्णय पर मुहर लगाई थी। इसलिए अपनी संसदीय प्रणाली और अनगिनत बलिदानों के बाद मिली इस दूसरी आजादी के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराने के लिए आज ये प्रस्ताव पास किया जाना आवश्यक है। हम ये भी मानते हैं कि हमारी युवा पीढ़ी को लोकतंत्र के इस काले अध्याय के बारे में जरूर जानना चाहिए।

लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि 1975 से 1977 का वो काला कालखंड अपने आप में एक ऐसा कालखंड है। जो हमें संविधान के सिद्धांतों, संघीय ढांचे और न्यायिक स्वतंत्रता के महत्व की याद दिलाता है। ये कालखंड हमें याद दिलाता है कि कैसे उस समय इन सभी पर हमला किया गया और क्यों इनकी रक्षा आवश्यक है।

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