भारत ने चावल के निर्यात पर लगाया प्रतिबंध, कम बारिश के कारण उत्पादन प्रभावित
नई दिल्ली। चीन के बाद चावल उत्पादन में भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है। चावल उत्पादन के वैश्विक व्यापार में भारत 40 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखता है। अब खबर आ रही है कि भारत ने टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है।
देश के कई इलाकों में कम बारिश की वजह से इस साल चावल का उत्पादन प्रभावित हो सकता है, इसी कारण से यह फैसला लिया गया है। कृषि मंत्रालय के अनुसार दुनिया के दूसरे सबसे बड़े उत्पादक दक्षिण एशियाई देश भारत में चावल का कुल रकबा इस सीजन में अब तक 12% गिर गया है। इस साल कम मौनसून के कारण फसल की उपज भी कम हो रही है। बड़े पैमाने पर खाद्य मुद्रास्फीति दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं को नुकसान पहुंचा रही है। व्यापारी मंडल में इसको लेकर चिंता बढ़ गई है।
भारत ने मई में गेहूं के शिपमेंट पर यह कहते हुए प्रतिबंध लगा दिया था कि देश की खाद्य सुरक्षा खतरे में है, क्योंकि कई राज्यों में रिकॉर्ड-टूटने वाली गर्मी की वजह से गेहूं की पैदावार कम हुई थी। भारत ने अपनी खाद्य आपूर्ति की सुरक्षा के लिए चीनी की निर्यात पर भी रोक लगा दी थी। कृषि मंत्रालय ने कहा कि धान का रकबा 12 अगस्त तक गिरकर 30.98 मिलियन हेक्टेयर (76.55 मिलियन एकड़) रह गया है, जो एक साल पहले 35.36 मिलियन हेक्टेयर था। हालांकि, गन्ने के लिए आवंटित क्षेत्र 5.45 मिलियन से बढ़कर 5.52 मिलियन हेक्टेयर हो गया है.
भारत में मानसून की बारिश अब तक औसत से 8% ज्यादा रही है, लेकिन उत्तरी राज्य उत्तर प्रदेश जैसे कुछ प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में इनकी कमी रही है।
वाणिज्य मंत्रालय के तहत आने वाले डायरेक्टरेट जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड यानी डीजीएफटी (DGFT) ने 13 मई 2022 को गेहूं के निर्यात पर रोक लगाने का फैसला किया था।