उत्तर प्रदेशप्रदेश

Frog Marriage: गोरखपुर में हुई मेंढक और मेंढकी की अनोखी शादी, क्या टोना-टोटका से होगी बारिश ?

क्या आपने कभी मेंढक और मेंढकी की रीति-रिवाज और मंत्रोच्चारण के साथ शादी होते देखी है? सुनने में ये बात थोड़ा अजीब लग सकती है लेकिन यूपी के गोरखपुर में एक मेंढक और मेंढकी को पूरे विधि-विधान के साथ दूल्हा और दुल्हन बनाया गया है और फिर उनकी शादी की गई। ये मामला गोरखपुर के रेती स्थित कालीबाड़ी मंदिर का है, जहां विश्व हिंदू महासंघ के लोगों ने मेंढक और मेंढकी की शादी करवाई है। इस शादी में मेंढक और मेंढकी की तरफ से मेहमान भी शामिल किए गए और मेंढक-मेंढकी को हल्दी-चंदन भी लगाया गया। इसके बाद मंत्रों के साथ उनकी शादी की गई।

दरअसल, पूर्वी उत्तर प्रदेश में बारिश नहीं होने से किसान बेहाल और परेशान हैं। बारिश ना होने से सूखे जैसी स्थिति पैदा हो गई है। ऐसे में स्थानीय लोग अलग-अलग तरीके के टोटके कर भगवान इंद्र और वरुण देव को खुश करने के लिए पूजा-पाठ कर रहे हैं, ताकि बरसात हो। मान्यता है कि मेंढक और मेंढकी का विवाह कराने से इलाके में अच्छी बारिश होती है। बारिश होने से किसान के चेहरे खिल उठते हैं।

गोरखपुर शहर के रेती पर स्थित कालीबाड़ी मंदिर पर विश्व हिंदू परिषद ने मेंढक और मेढकी की रीति रिवाज और मंत्रोच्चार से शादी कराई। दुल्हन मेंढकी और दूल्हा मेंढक दोनों की तरफ से बाराती आए। मेंढक और मेंढकी को हल्दी-चंदन लगाया गया। इसके बाद दोनों की धूमधाम से शादी हुई।

विश्व हिंदू परिषद के जिला प्रभारी (गोरखपुर) राधा कांत वर्मा ने बताया कि मॉनसून में सामान्य तौर पर 15 जून से बारिश होती है। हालांकि पूर्वी उत्तर प्रदेश में इस बार बारिश के आसार नहीं हैं। खेत सूखे पड़े हुए हैं। ट्यूबवेल से सिंचाई करना किसान के लिए महंगा सौदा है। ऐसे में इंद्र देव को प्रसन्न करने के लिए कालीबाड़ी मंदिर में मेंढक-मेंढकी की रीति रिवाज से से शादी कराई गई।

कई लोगों के मन में सवाल उठता है कि मेंढक और मेंढकी की शादी ही क्यों इस टोटके में की जाती है! दरअसल ये प्रथा है कि मेंढक मानसून के दौरान बाहर निकलता है और मेंढकी को आकर्षित करने के लिए आवाजें निकालता है। इसीलिए अगर इनकी शादी करवा दी जाए और वो मिलन के लिए तैयार हो जाएं तो इंद्रदेव खुश होते हैं। हालांकि आज की खबर इन दावों की पुष्टि नहीं करता। ये स्थानीय लोगों का विश्वास है, जिसके लिए वह ये टोटका करते हैं।

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