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सावधान ! कोरोना वायरस ने पहुंचाया दिल को नुकसान, पड़ रहे हार्ट अटैक

दुनिया भर में कोरोना महामारी ने लोगों को कई तरह से नुकसान पहुंचाया है। कोविड-19 वायरस की चपेट में आए लोग इससे काफी प्रभावित हुए हैं। वहीं इसकी वजह से लोगों की लाइफस्टाइल में बड़ा बदलाव आया, जिसकी वजह से कुछ बीमारियां बढ़ी हैं। कोविड महामारी के दौरान रहन-सहन की बदली आदतों की वजह से लोगों में बड़े पैमाने पर ब्लड प्रेशर की बीमारी बढ़ी है। ब्लड प्रेशर बढ़ने से हार्ट अटैक का खतरा भी बढ़ा है। कोरोना वायरस की चपेट में आने से आपके शरीर के कई अंग प्रभावित होते हैं, खास तौर पर आपका दिल। संक्रमण से रिकवरी के बाद भी मरीजों को हार्ट अटैक, स्ट्रोक और हार्ट फेलियर का खतरा होता है। ये रिस्क उन लोगों को भी होता है जिन्हें बीमारी के कोई लक्षण नहीं होते।

वहीं अगर कोई शख्स मैदानी क्षेत्र में रहता है और अचानक पहाड़ी क्षेत्र या ऊंचे जगह पर चला जाए, तो मृत्यु का खतरा अधिक पैदा हो जाता है। उत्तराखंड में जारी चारधाम यात्रा के दौरान अब तक 118 से अधिक लोगों की मृत्यु हो चुकी है। इनमें से अधिकांश लोगों की मृत्यु का कारण हार्ट अटैक था। आखिर ऐसा क्या है कि पहाड़ी इलाकों में जाने पर हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है? आइए यहां जानते हैं इस बारे में-

दरअसल, कोविड काल में चारधाम यात्रा नहीं हो सकी थी, लेकिन चार धाम यात्रा शुरू होने के बाद एक माह से कुछ अधिक की अवधि में ही 20 लाख से ज्यादा तीर्थयात्री पवित्र धामों के दर्शन को आ चुके हैं, और यह एक रेकॉर्ड है। वहीं इस वर्ष चारधाम यात्रा कर रहे श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या में हार्ट अटैक से मौत हो रही है। ताजा आंकड़ों पर गौर फरमाए तो केदारनाथ में अब तक 54 तीर्थ यात्रियों की मौत हार्ट अटैक से हो चुकी है। जबकि, चारों धाम में यह संख्या 118 से अधिक पहुंच गई है।

तीर्थयात्रियों की अब तक हुई मौत के संभावित कारणों पर गौर करें तो ये आकस्मिक हृदयाघात और हाइपरटेंशन जैसी वजहें तो हैं ही, इसके पहले कोविड या दूसरी बीमारियों की चपेट में होने जैसे कारण भी हैं। किसी भी तीर्थयात्री की मृत्यु अस्पताल में नहीं हुई है। मृत्यु से पहले किसी भी यात्री को इलाज के लिए हेल्थ सेंटर नहीं लाया गया था।

दरअसल, चारधाम यात्रा में चारों धाम उच्च हिमालयी क्षेत्र में हैं। उनकी ऊंचाई समुद्र तल से 2700 मीटर से भी ज्यादा है। केदारनाथ धाम की यात्रा में खड़ी चढ़ाई चढ़कर पहुंचना पड़ता है। केदारनाथ के लिए गौरीकुंड से 19 किलोमीटर की चढ़ाई है। बद्रीनाथ के लिए गाड़ी बद्रीनाथ तक जाती है। यमुनोत्री के लिए भी साढ़े पांच किलोमीटर पैदल जाना होता है। गंगोत्री तक गाड़ी से जाया जा सकता है।

पहाड़ों में यात्रा करने वालों को पैदल चलते समय सांस लेने की दिक्कत हो सकती है। ज्यादा ऊंचाई वाले इलाकों में यात्रियों को बहुत ज्यादा ठंड, कम ह्युमिडिटी, बहुत ज्यादा अल्ट्रा वायलेट रेडिएशन, हवा के कम दबाव और ऑक्सीजन की कम मात्रा जैसे हालात का सामना करना पड़ता है। ऑक्सीजन की प्रॉब्लम से हार्ट अटैक का खतरा रहता है। इसीलिए पैदल यात्रा शुरू करने से पहले हेल्थ चेक-अप कराने की हिदायत दी जा रही है। पहले से बीमार यात्रियों को सलाह दी जा रही है कि वे दवाएं साथ लेकर आगे बढ़ें और खाना-पीना न छोड़ें। आस्था के चलते कई श्रद्धालु बिना खाना खाए ही दर्शन के लिए लाइन में लगते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि ऐसे में उनकी जान को खतरा हो सकता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, हृदय रोगों के मरीजों को जोखिम नहीं लेना चाहिए और अगर यात्रा पर जाना ही है तो रुक-रुक कर सफर करना चाहिए।

वहीं हेल्थ डिपार्टमेंट ने एडवाइजरी जारी की है कि बहुत बुजुर्ग लोग, बीमार या पहले कभी कोविड की चपेट में आ चुके लोग चारधाम की यात्रा पर आने से परहेज करें। तीर्थस्थल पर पहुंचने से पहले रास्ते में एक दिन आराम करें। सिर दर्द, उल्टी, चक्कर, खांसी, घबराहट, दिल की धड़कन तेज होने, हाथ-पांव या होठ नीले पड़ने या सांस फूलने पर नजदीकी हेल्थ सेंटर से मदद लें।

जिस तेजी से मरने वालों का आंकड़ा बढ़ा है, उसे देखते हुए केंद्र सरकार ने राज्य से मौत के मामलों पर रिपोर्ट तलब की है। केंद्रीय एजेंसियों को भी चारो धामों में हालात पर काबू पाने के लिए निर्देश दिया गया है। प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि सरकार अपने स्तर पर तैयारियां कर रही है और श्रद्धालुओं को किसी भी तरह की दिक्कत नहीं होने दी जाएगी। लेकिन दिनोंदिन हो रही मौत के आंकड़े तैयारियों की पोल खोलते नजर आ रहे हैं और ऐसा लग रहा है कि चारधाम यात्रा एडवाइजरी के भरोसे चल रही है।

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