रणजी ट्रॉफी 2021–2022: उत्तराखंड की शर्मनाक हार, मुंबई ने तोड़ा 92 साल पुराना रिकॉर्ड
मुंबई क्रिकेट टीम ने रणजी के क्वार्टर फाइनल में उत्तराखंड की क्रिकेट टीम को 725 रनों के विशाल अंतर से हराकर प्रथम श्रेणी क्रिकेट में 92 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया है।
हार-जीत लगी रहती है, लेकिन शर्मनाक यह है कि उत्तराखंड के खिलाड़ियों ने मैदान पर हथियार ही डाल दिए। मुंबई की पहली पारी 614 के जवाब में 114 फिर दूसरी पारी में 69 रन पर उत्तराखंड की टीम ढेर हो गई। दूसरी पारी में नौ बल्लेबाज तो दहाई की संख्या भी नहीं छू सके। कप्तान जय बिष्टा तो दोनों पारियों में खाता भी नहीं खोल सके।
उत्तराखंड क्रिकेट को बीसीसीआई की मान्यता भले ही चार साल पहले मिली है लेकिन टीम के अधिकतर खिलाड़ी प्रोफेशनल हैं और इनमें से एक दो खिलाड़ी बड़ा नाम भी हैं। इसके बावजूद क्वार्टर फाइनल में मुंबई जैसी टीम के खिलाफ पूरी तरह समर्पण कर देना प्रदेश के खेल प्रेमियों को रास नहीं आया है।
लंच से पहले ही 69 रन पर पवेलियन लौट गए खिलाड़ी
बंगलूरू में खेले गए रणजी ट्रॉफी के क्वार्टर फाइनल में मुंबई ने पहली पारी में आठ विकेट खोकर 647 रन बनाए थे। मुंबई की ओर से सुवेद पार्कर ने पदार्पण मैच में ही दोहरा शतक जड़ा था। 647 का स्कोर देखकर उत्तराखंड के खिलाड़ी शुरू से ही लय में नजर नहीं आए और पूरी टीम 114 रन पर सिमट गई। कप्तान जय बिष्टा समेत तीन खिलाड़ी तो खाता भी नहीं खोल सके। कमल ने 40 और रॉबिन ने 25 रन बनाए। मुंबई ने फॉलोऑन के बजाय दूसरी पारी तीन विकेट पर 261 रन बनाकर घोषित की और चौथे दिन उत्तराखंड के समक्ष 794 रनों का विशाल पहाड़ खड़ा कर दिया। उत्तराखंड की टीम को संयम से खेलते हुए पूरा दिन क्रीज पर बिताना था लेकिन खिलाड़ी विकेट पर टिकने के बजाय लंच से पहले ही 69 रन पर पवेलियन लौट गए।
ये था रिकॉर्ड
1930 में न्यू साउथ वेल्स ने क्वींसलैंड को 685 रनों से शिकस्त देकर 92 साल पहले प्रथम श्रेणी क्रिकेट में सबसे बड़ी जीत का बनाया था रिकॉर्ड
1953-54 में बंगाल की टीम ने ओडिशा को 540 रनों से हराकर रणजी क्रिकेट के इतिहास में दर्ज की थी जीत, जिसे नौ तारीख को मुंबई की टीम ने तोड़ दिया
1928 अंतरराष्ट्रीय टेस्ट क्रिकेट में रन के हिसाब से सबसे बड़ी जीत का रिकॉर्ड इंग्लैंड के नाम दर्ज है जो उसने ऑस्ट्रेलिया को 675 रन से हराकर बनाया था
यहां किया आत्मसमर्पण
– पहली पारी में जय बिष्टा जब आउट हुए तो कुनाल की जगह नाइटवाचमैन के रूप में मयंक को भेजने से टीम की मनोदशा साफ नजर आई की टीम दबाव में है।
– अधिकतर बल्लेबाज शॉट खेलने के चक्कर में आउट हुए। स्कोर बड़ा था और आप बड़े स्कोर का पीछा नहीं कर सकते तो क्रीज पर समय बिताना चाहिए था।
– कप्तान जय बिष्टा अनुभवी हैं और मुंबई उनकी पुरानी टीम हैं उन्होंने नेतृत्व करने के बजाय हथियार डाल दिए। दोनों पारियों में शून्य पर आउट हुए।
– सलामी जोड़ी बुरी तरह रही फ्लॉप, पहली पारी में आठ रनों की साझेदारी तो दूसरी पारी में बगैर खाता खोले हुए टूटी जोड़ी