Jaipur Dowry Case: 3 बहनों की एक घर में शादी, तीनों ने मासूमों संग दी जान
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हमारे देश ने आज चाहे कितनी भी उन्नति क्यों न कर ली हो लेकिन दहेज प्रथा ने आज भी अपने पांव पसारे हुए हैं। शादी में दहेज देने और लेने की रीति न जाने कितनी पुरानी है लेकिन आज भी इस प्रथा पर पूरी तरह से अंकुश नहीं लग पाया है। भले ही दहेज प्रथा को कानून ने अपराध घोषित कर दिया है। लेकिन, आज भी दहेज प्रथा से संबंधित कई खबरे सुनने को मिलती हैं। कहीं किसी लड़की को दहेज न देने के चलते जला कर मार दिया जाता है तो कहीं बिना दहेज के शादी रोक दी जाती है।
ऐसा ही दिल दहला देने वाला मामला राजस्थान से सामने आया है। जहां एक ही परिवार के पांच लोगों की लाश कुएं में मिलने से सनसनी फैल गई है। इस सनसनीखेज वारदात को पुलिस आत्महत्या मान रही है। पुलिस ने बताया कि सभी शवों की पहचान हो गई है और घरवालों को सूचना दे दी गई है।
यह घटना जयपुर के पास स्थित दूदू कस्बे की है। शनिवार 28 मई की सुबह यहां एक कुएं में 5 लाशें पड़ी मिली। ये लाशें तीन युवतियों और दो मासूम बच्चों की थी। तीनों मृतक युवतियां 25 वर्षीय काली देवी, 23 वर्षीय ममता देवी और 21 वर्षीय कमलेश देवी सगी बहनें थी। सबसे बड़ी बहन मृतका काली देवी के दो मासूम बच्चे थे। एक 4 साल का था जबकि दूसरा बच्चा 1 महीने का था। इन सभी के शव शनिवार सुबह कुए में पड़े मिले हैं। ममता और कमलेश गर्भवती थीं.
25 मई को तीनों बहनें बच्चों संग बाजार जाने के बहाने निकली थीं, लेकिन जब वो वापस घर नहीं आईं तो उनके परिवार के सदस्यों ने अलग-अलग जगहों पर गुमशुदगी के पोस्टर लगा दिए और शिकायत दर्ज कराई.
तीनों बहनें के एक चचेरे भाई हेमराज मीणा ने आरोप लगाया कि मेरी एक बहन को उसके ससुराल वालों ने बुरी तरह पीटा था. हमारी बहनों की हत्या की गई है. मिली जानकारी के अनुसार, तीनों बहनें जी तोड़ पढ़ाई कर जिंदगी संवारना चाहती थीं जबकि तीनों के अनपढ़ पति शराब के नशे में उन्हें मारते-पीटते थे. वो शराबी और शक्की मिजाज के थे. पुरखों की जमीन बेचकर वो जीवन काटते थे और कोई काम नहीं करते थे.
जयपुर ग्रामीण एसपी मनीष अग्रवाल ने कहा कि तीनों महिलाओं में से एक ने वॉट्सऐप पर एक स्टेटस भी पोस्ट किया था कि वो अपने ससुराल वालों से परेशान हैं, इसलिए मर जाना बेहतर है. वहीं, मृतक महिलाओं के पिता ने ससुराल वालों के खिलाफ दहेज के लिए लगातार प्रताड़ित करने का आरोप लगाते हुए केस दर्ज कराया है.
पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज की कार्यकर्ता कविता श्रीवास्तव ने कहा कि सात लोगों की जान चली गई क्योंकि दो महिलाएं गर्भवती थीं और अपने अजन्मे बच्चे के साथ मर गईं. यह एक अत्यंत जघन्य अपराध है और महिलाओं की पीड़ा समझ से परे है. उन्होंने कहा कि स्थानीय पुलिस के बजाय एक उच्च पदस्थ अधिकारी द्वारा निष्पक्ष और गहन जांच होनी चाहिए.