जानिये छठ पूजा में चढ़ाये जाने वाले प्रसाद का महत्व
छठ पूजा आस्था और संयम का महापर्व है। यह प्रकृति से जुड़ा पर्व है। आस्था के इस महापर्व में प्राकृतिक वस्तुओं का महत्व बहुत है। इसलिए इस पूजा के प्रसाद में प्राकृतिक वस्तुओं, मौसमी फलों और सभी प्रकार के फल-फूलों का प्रयोग होता है। यह पर्व प्रकृति के करीब ले जाता है। इसके प्रसाद का बड़ा महत्व है। आइये जानते हैं हर एक प्रसाद का महत्व।
ठेकुए
छठ पूजा में वैसे तो कई तरह के प्रसाद चढ़ाए जाते हैं लेकिन उसमें सबसे अहम ठेकुए का प्रसाद होता है, जिसे गुड़ और आटे से बनाया जाता है। छठ की पूजा इसके बिना अधूरी मानी जाती है।
छठ के सूप में इसे शामिल करने के पीछे यह कारण है कि छठ के साथ सर्दी की शुरुआत हो जाती है और ऐसे में ठंड से बचने और सेहत को ठीक रखने के लिए गुड़ बेहद फायदेमंद होता है।
केले
छठ में केले का भी खास महत्व है. यही वजह है कि प्रसाद के रूप में इसे बांटा और ग्रहण किया जाता है. इसके पीछे तर्क यह है कि छठ पर्व बच्चों के लिए किया जाता है और सर्दियों के मौसम में बच्चों में गैस की समस्या हो जाती है। ऐसे में उन्हें इस समस्या से बचाने के लिए प्रसाद में केले को शामिल किया जाता है.
डाभ नींबू
छठ के प्रसाद में डाभ नींबू जो कि एक विशेष प्रकार का नींबू है चढ़ाया जाता है। ये दिखने में बड़ा और बाहर से पीला व अंदर से लाल होता है। आपको बता दें डाभ नींबू हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद होता है और ये हमें कई रोगों से दूर रखता है। डाभ नींबू हमें बदलते मौसम में बीमारियों से लड़ने के लिए तैयार करता है।
गन्ना
छठी मईया को गन्ना बहुत प्रिय है। कई लोग गन्ने का घर बनाते हैं, उसमें पूजा करते हैं। मान्यता है कि छठी मईया घर में सुख–समृद्धि लाती है। इसके साथ ही छठ पूजा में गन्ने से बने गुड़ का प्रसाद भी बनाया जाता है।
सुथनी
सुथनी खाने में शकरकंदी की तरह होता है। यह फल बहुत शुद्ध माना जाता है इसलिए छठी मैय्या के डाले में सुथनी होता है. सुथनी मिट्टी से निकलता है, इसमें कई औषधीय गुण भी होते हैं।
सिंघाड़ा
सिंघाड़ा काफी सख्त होता है, इसलिए पशु-पक्षी भी इसे झूठा नहीं कर पाते है। साफ और शुद्ध होने के कारण छठी मैय्या को सिंघाड़ा भी चढ़ाया जाता है। सिघांड़ा लक्ष्मी जी का भी प्रिय फल माना जाता है. इसे चढ़ाने से धन-धान्य की प्राप्ति होती है।
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