लोकायुक्त पर उत्तराखंड सरकार को विपक्ष ने लिया आड़े हाथ, कहा- आखिर बिल कहां गायब हो गया?
देहरादून: उत्तराखंड के भाजपा सरकार में लोकायुक्त बिल विधानसभा के पटल पर आया और प्रवर समिति के पास जाने के बाद आज तक नहीं लौट पाया है। विपक्ष सवाल उठा रहा है कि आखिर बिल कहां गायब हो गया? फिलहाल लोकायुक्त के मुद्दे पर भाजपा सरकार घिरी हुई है।
सत्तारूढ़ भाजपा ने 2017 के विधानसभा चुनाव के दृष्टि पत्र में 100 दिन में राज्य को मजबूत लोकायुक्त देने का वादा किया था। सरकार साढ़े चार साल बाद भी लोकायुक्त नहीं बना सकी। कांग्रेस इस मुद्दे को लेकर अब विधानसभा चुनाव में जा रही है। चुनाव में भजापा के भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस के खिलाफ यह उसका मजबूत चुनावी हथियार बनेगा।
2022 के विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने अपने भावी घोषणा पत्र की समिति भी बना दी है। लेकिन चुनाव में जनता उससे 2017 के विधानसभा चुनाव में की गई गई घोषणाओं का हिसाब पूछेगी। हालांकि भाजपा सरकार का यह दावा है कि पार्टी के दृष्टि पत्र (घोषणा पत्र) की 80 से 85 प्रतिशत वादे पूरे किए जा चुके हैं और बाकी अगले दो-तीन महीनों में पूरे हो जाएंगे। लेकिन पार्टी के इस दावे से जुदा लोकायुक्त की घोषणा ठंडे बस्ते में है।
पार्टी ने चुनाव में राज्य को 100 दिन में मजबूत लोकायुक्त देने का वादा किया था। सरकार विधानसभा में विधेयक लाई। सदन में विपक्ष ने बिल का समर्थन किया लेकिन सत्ता पक्ष की ओर से ही विधेयक प्रवर समिति को भेज दिया गया। तब से लोकायुक्त विधेयक प्रवर समिति के पास है। इस बीच विस के तमाम सत्र आए और चले गए, लेकिन विधेयक प्रवर समिति से सदन पटल पर पेश नही हो सका। विधानसभा के भीतर लोकायुक्त के मुद्दे को बार-बार उठाने के बाद अब कांग्रेस इसे अपना मुख्य चुनावी हथियार बनाने जा रही है।