योगी सरकार ने चार साल में गन्ना किसानों को किया 1 लाख 40 हजार करोड़ रु का भुगतान
लखनऊ। राज्य सरकार ने यूपी के गन्ना किसानों और चीनी उद्योग दोनों की सूरत बदल दी है । दम तोड़ रहे चीनी उद्योग को नई उड़ान देने के साथ ही राज्य सरकार ने गन्ना किसानों को सबसे बड़ी आर्थिक मजबूती दी है। सरकार ने गन्ना किसानों को भुगतान का नया कीर्तिमान स्थापित किया है। 4 साल में 45.44 लाख से अधिक गन्ना किसानों को राज्य सरकार ने 1 लाख 40 हजार करोड़ रुपये का भुगतान किया है। यह बसपा सरकार से दोगुना और सपा सरकार के मुकाबले डेढ़ गुना अधिक है। बसपा सरकार में गन्ना किसानों को 55000 करोड़ का कुल भुगतान किया गया था,जबकि सपा सरकार के पांच साल में गन्ना किसानों को 95000 करोड़ रुपये का कुल भुगतान किया गया था। अखिलेश सरकार के कार्यकाल में गन्ना किसानों के 10659.42 करोड़ रुपये के बकाये का भुगतान भी योगी सरकार ने किसानों को किया है । 2007 से 2017 तक जितना कुल भुगतान किसानों को हुआ था उतना योगी सरकार ने सिर्फ 4 साल में कर दिया।
पिछली सरकारों में एक के बाद एक बंद होती चीनी मिलों को योगी सरकार ने न सिर्फ दोबारा शुरू कराया गया बल्कि यूपी को देश में चीनी उत्पादन में नंबर वन बना दिया । राज्य सरकार ने तीन पेराई सत्रों एवं वर्तमान पेराई सत्र 2020-21 समेत यूपी में कुल 3,868 लाख टन से अधिक गन्ने की पेराई कर 427.30 लाख टन चीनी का रिकॉर्ड उत्पादन किया है । वर्ष 2017-18 से 31 जनवरी, 2021 तक 54 डिस्टिलरीज के माध्यम से प्रदेश में कुल 261.72 करोड़ लीटर एथनॉल का उत्पादन हुआ है। जो कि एक रिकार्ड है।
सपा और बसपा की सरकार में बकाया भुगतान के लिए गन्ना किसानों को दर दर भटकना पड़ता था। हालात से परेशान कई किसान गन्ना उत्पादन से तौबा कर बैठे थे। लेकिन योगी सरकार ने गन्ना मूल्य का ऐतिहासिक भुगतान कर किसानों को गन्ने की मिठास लौटा दी है। प्रदेश में लॉकडाउन के दौरान एक भी चीनी मिल बंद नहीं हुई। सभी 119 चीनी मिलें चलीं । प्रदेश में 45.44 लाख से अधिक गन्ना आपूर्तिकर्ता किसान हैं और लगभग 67 लाख किसान गन्ने की खेती से जुड़े हैं। आज देश में 47% चीनी का उत्पादन यूपी में हो रहा है और गन्ना सेक्टर का प्रदेश की जीडीपी में 8.45 प्रतिशत एवं कृषि क्षेत्र की जीडीपी में 20.18 प्रतिशत का योगदान है।
25 सालों में पहली बार 243 नई खांडसारी इकाइयों की स्थापना के लिए लाइसेंस जारी किये गए। जिनमें से 133 इकाइयां संचालित हो चुकी हैं। इन इकाइयों में 273 करोड़ का पूंजी निवेश होने के साथ करीब 16,500 लोगों को रोजगार मिलेगा। 243 नई खांडसारी इकाइयों की स्थापना होने पर 50 हजार लोग रोजगार पायेंगे। पिछली सरकारों में 2007-2017 तक 21 चीनी मिलें बंद की गईं । जबकि योगी सरकार नें बीस बंद पड़ी चीनी मिलों को फिर शुरू कराया। जिसके तहत पिपराइच-मुंडेरवा में नई चीनी मिलें लगाकर शुरू कराईं। बंद पड़ी रमाला चीनी मिल की क्षमता बढ़ाकर उसे चलवाया गया। संभल और सहारनपुर की बंद चीनी मिल भी अब चलने लगी है। बागपत चीनी मिल की क्षमता बढ़ाकर कोजन प्लांट लगाया गया है । इसके अलावा 11 निजी मिलों की क्षमता भी बढ़वाई गई। करीब 8 साल से बंद वीनस, दया और वेव शुगर मिलें चलवाई गईं। सठियांव और नजीबाबाद सहकारी मिलों में एथनॉल प्लांट लगा।