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पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस का निजीकरण पूरा, आरिफ हबीब ने 135 अरब रुपये में खरीदी PIA

इस्लामाबाद : पाकिस्तान की सरकारी एयरलाइन पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस का निजीकरण पूरा हो गया है। एक समय देश की सबसे प्रतिष्ठित एयरलाइन मानी जाने वाली PIA को आखिरकार सरकार की उदासीनता, लगातार घाटे और खराब प्रबंधन के चलते बेचना पड़ा। 23 दिसंबर 2025 को कारोबारी आरिफ हबीब ने 135 अरब पाकिस्तानी रुपये (करीब 482 मिलियन डॉलर) की बोली लगाकर PIA का अधिग्रहण किया।

इस सौदे के साथ 72 वर्षीय आरिफ हबीब पाकिस्तान के सबसे प्रभावशाली डीलमेकर के रूप में उभरकर सामने आए हैं। उनकी कारोबारी यात्रा 1970 में कराची स्टॉक एक्सचेंज में एक ब्रोकर के रूप में शुरू हुई थी। पांच दशकों में उन्होंने एक छोटी ब्रोकरेज फर्म को मल्टीबिलियन डॉलर के समूह आरिफ हबीब कॉर्पोरेशन लिमिटेड में तब्दील कर दिया।

आरिफ हबीब को संकटग्रस्त और सरकारी संपत्तियों के अधिग्रहण में विशेष महारत हासिल मानी जाती है। वे कराची स्टॉक एक्सचेंज के छह बार अध्यक्ष रह चुके हैं और सेंट्रल डिपॉजिटरी कंपनी के संस्थापकों में शामिल रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार, उनके माता-पिता 1948 में भारत के गुजरात स्थित बंटवा से पाकिस्तान चले गए थे। आरिफ हबीब कॉर्पोरेशन पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था के कई अहम क्षेत्रों में सक्रिय है। 30 जून 2025 तक कंपनी ने 13.01 अरब रुपये का राजस्व दर्ज किया, जबकि शुद्ध आय में 32.8 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ यह 10.39 अरब रुपये तक पहुंच गई।

PIA की बिक्री से पहले पाकिस्तान सरकार ने एयरलाइन के 654 अरब रुपये के भारी कर्ज को अपने ऊपर ले लिया था, ताकि निजीकरण को निवेशकों के लिए आकर्षक बनाया जा सके। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इस सौदे को पाकिस्तान के इतिहास का सबसे बड़ा लेन-देन बताते हुए इसकी पारदर्शिता की सराहना की। उन्होंने कहा कि पूरी बोली प्रक्रिया का सीधा प्रसारण स्थानीय टीवी चैनलों पर किया गया।

यह बिक्री पिछले वर्ष की असफल निजीकरण प्रक्रिया के बाद संभव हो पाई, जब PIA को अपेक्षित कीमत नहीं मिल सकी थी। PIA के निजीकरण के साथ उस दौर का अंत हो गया है, जब यह एयरलाइन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की पहचान मानी जाती थी। वर्षों के खराब प्रबंधन और गिरती सेवा गुणवत्ता ने इसकी साख को गंभीर नुकसान पहुंचाया, जिसके बाद सरकार को इसे निजी निवेशकों के हवाले करने का फैसला लेना पड़ा।

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