मनरेगा के स्थान पर नई योजना लाने पर भड़के सीएम भगवंत मान, विशेष विधानसभा सत्र बुलाने का ऐलान

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने केंद्र सरकार द्वारा मनरेगा को बदलकर VB-G RAM G योजना लागू करने के फैसले पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इसे गरीबों की आजीविका पर सीधा हमला बताते हुए कहा कि भाजपा सरकार महात्मा गांधी का नाम हटाने के साथ-साथ योजना की मूल भावना को भी खत्म करने पर आमादा है।
मुख्यमंत्री मान ने घोषणा की कि जनवरी के दूसरे सप्ताह में पंजाब विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया जाएगा, जिसमें इस मुद्दे पर पंजाब की जनता की आवाज केंद्र तक पहुंचाई जाएगी। यह फैसला आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ हुई बैठक के बाद लिया गया है।
प्रेस वार्ता के दौरान भगवंत मान ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा नाम बदलने की राजनीति में उलझी हुई है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि केवल नाम बदल देने से कोई योजना सफल नहीं होती, बल्कि असली बदलाव जमीन पर काम करने से आता है। मुख्यमंत्री ने साफ कहा कि योजना का नाम चाहे जो हो, मजदूरों को समय पर और सही तरीके से मजदूरी मिलनी चाहिए।
गुरुवार को लोकसभा ने करीब 14 घंटे की बहस के बाद विपक्ष के विरोध के बीच VB-G RAM G विधेयक पारित कर दिया। नए कानून के तहत ग्रामीण परिवारों को साल में 125 दिन रोजगार देने का प्रावधान किया गया है, जो पहले 100 दिन था। हालांकि विपक्ष का आरोप है कि यह बदलाव केवल कागजी है और इससे जमीनी हकीकत नहीं बदलेगी।
इस विधेयक के तहत फंडिंग पैटर्न में बड़ा बदलाव किया गया है। पहले जहां पूरी लागत केंद्र सरकार वहन करती थी, अब राज्यों को 40 प्रतिशत खर्च उठाना होगा। 60:40 के इस फंड शेयरिंग मॉडल को पंजाब जैसे राज्यों के लिए आर्थिक रूप से चुनौतीपूर्ण बताया जा रहा है।
आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता नील गर्ग ने इस बिल को सुनियोजित धोखा करार दिया। उन्होंने कहा कि यह केवल नाम बदलने का मामला नहीं है, बल्कि मनरेगा जैसी अधिकार आधारित योजना को कमजोर करने की कोशिश है। उनका आरोप है कि मजदूरों की रोजगार गारंटी को खत्म कर इसे विवेकाधीन योजना में बदला जा रहा है।
नए कानून में कई बदलाव किए गए हैं, जिन पर सवाल उठ रहे हैं। इनमें मांग आधारित बजट की जगह तय मानकों के आधार पर फंडिंग, 60 दिन का अनिवार्य नो वर्क पीरियड, सीमित क्षेत्रों में ही रोजगार उपलब्ध कराने का प्रावधान और बेरोजगारी भत्ते से जुड़े संशोधन शामिल हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे योजना की कानूनी गारंटी कमजोर हो सकती है। इस फैसले के विरोध में पंजाब के विभिन्न जिलों में मजदूर संगठनों ने प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं। बठिंडा, मोगा, मुक्तसर, फरीदकोट और संगरूर में केंद्र सरकार के पुतले फूंके गए। मजदूर नेताओं का कहना है कि इस बदलाव से ग्रामीण गरीबों की आखिरी सुरक्षा भी छिन जाएगी।
विपक्षी दलों ने संसद में भी इस बिल का जोरदार विरोध किया। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इसे मनरेगा को खत्म करने की साजिश बताया। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने भी केंद्र सरकार पर गरीबों की आजीविका कमजोर करने का आरोप लगाया।
मनरेगा की शुरुआत 2005 में यूपीए सरकार के दौरान हुई थी और पिछले दो दशकों में इस योजना के तहत करोड़ों ग्रामीण परिवारों को रोजगार मिला है। अब नई व्यवस्था के बाद इस योजना के भविष्य को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। पंजाब सरकार ने साफ किया है कि वह इस मुद्दे पर केंद्र सरकार से या तो विधेयक वापस लेने या राज्यों की चिंताओं को दूर करने की मांग करेगी। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि पंजाब सरकार गरीबों और मजदूरों के अधिकारों की रक्षा के लिए हर स्तर पर संघर्ष करेगी।







