नेशनल हेराल्ड केस: दिल्ली हाईकोर्ट ने सोनिया गांधी, राहुल गांधी समेत सात आरोपियों को जारी किया नोटिस

नेशनल हेराल्ड मामले में कांग्रेस नेताओं सोनिया गांधी और राहुल गांधी को दिल्ली हाईकोर्ट से नोटिस जारी हुआ है। यह नोटिस प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की उस याचिका पर जारी किया गया है, जिसमें राउज एवेन्यू कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी। राउज एवेन्यू कोर्ट ने ईडी द्वारा दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लेने से इनकार कर दिया था।
दिल्ली हाईकोर्ट ने ईडी की याचिका पर सोनिया गांधी, राहुल गांधी सहित कुल सात आरोपियों को नोटिस भेजते हुए मामले की अगली सुनवाई की तारीख 12 मार्च तय की है।
सुनवाई के दौरान ईडी की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि आरोपियों ने मात्र 50 लाख रुपये के बदले करीब 2000 करोड़ रुपये की संपत्ति हासिल की। उन्होंने बताया कि जून 2014 में एक व्यक्ति ने इस मामले में निजी शिकायत दर्ज कराई थी, जिस पर निचली अदालत ने संज्ञान लिया था। बाद में दिल्ली हाईकोर्ट ने उस कार्यवाही पर रोक लगा दी थी।
तुषार मेहता ने कहा कि ईडी ने मामले की पूरी जांच की है, आवश्यक सबूत जुटाए गए हैं, कई स्थानों पर तलाशी ली गई और आरोपियों के बयान दर्ज किए गए हैं।
कोर्ट में क्या बहस हुई
सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि भले ही एक पन्ने की एफआईआर ईडी के अपराध का आधार बन सकती है, लेकिन सवाल यह है कि क्या सीआरपीसी की धारा 200 के तहत कोर्ट द्वारा किसी निजी शिकायत पर संज्ञान लिया जाना, ईडी की जांच का आधार नहीं बन सकता। निचली अदालत ने यह कहते हुए चार्जशीट पर संज्ञान लेने से इनकार कर दिया था कि निजी शिकायत पर कोर्ट के संज्ञान लेने के बाद ईडी आगे कार्रवाई नहीं कर सकती। इस पर दिल्ली हाईकोर्ट ने ईडी से पूछा कि क्या कोई ऐसा मामला लंबित है, जो निजी शिकायत पर आधारित हो और जिस पर कोर्ट ने संज्ञान लिया हो।
निचली अदालत ने बड़ी गलती की: तुषार मेहता
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने निचली अदालत के फैसले को गंभीर भूल बताया। उन्होंने कहा कि यह फैसला केवल इसी मामले तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसका असर कई अन्य मामलों पर भी पड़ेगा। उनके अनुसार, अगर यह मान लिया जाए कि निजी शिकायत पर संज्ञान लेने के बाद ईडी कोई कार्रवाई नहीं कर सकती, तो इससे कानून प्रवर्तन एजेंसियों की शक्तियों पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा।







