पंजाब सरकार ने अमृतपाल सिंह की याचिका का किया विरोध, कहा – “एक भाषण से बिगड़ सकती है कानून-व्यवस्था”

सांसद अमृतपाल सिंह को संसद सत्र में शामिल होने की अनुमति देने की मांग पर दाखिल याचिका का विरोध करते हुए पंजाब सरकार ने हाईकोर्ट में कहा कि यदि उन्हें बाहर आने दिया गया, तो उनकी एक स्पीच भी प्रदेश की कानून-व्यवस्था के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकती है। सरकार का कहना है कि सुरक्षा हालात और सभी परिस्थितियों को देखते हुए तय प्रक्रिया के अनुसार उनकी पैरोल मांग को खारिज किया गया है।
अमृतपाल सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर संसद सत्र में शामिल होने की अनुमति मांगी थी। इससे पहले सुनवाई में हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार को एक सप्ताह के भीतर उनकी पैरोल पर निर्णय लेने का निर्देश दिया था, लेकिन सरकार ने यह मांग अस्वीकार कर दी। इसके बाद अमृतपाल फिर से हाईकोर्ट पहुंचे, जहां सोमवार को मामले की सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार ने अनुमति देने का जोरदार विरोध किया।
सुनवाई में अमृतपाल की ओर से दलील दी गई कि वह अपने संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं और लाखों लोगों की आवाज उठाना उनका संवैधानिक दायित्व है। उन्होंने कहा कि यदि उन्हें शारीरिक रूप से संसद आने की अनुमति नहीं मिल सकती, तो कम से कम वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये शामिल होने की अनुमति दी जाए।
केंद्र सरकार ने इस मांग का विरोध करते हुए कहा कि संसद की प्रक्रियाओं और कार्यप्रणाली के तहत वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से उपस्थिति संभव नहीं है। कोर्ट ने इस पर टिप्पणी की कि आधुनिक समय में हर संस्था में वीसी की सुविधाएं उपलब्ध हैं, तो फिर संसद में यह विकल्प क्यों नहीं हो सकता। हालांकि कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि सांसदों को ऐसे शामिल होने की अनुमति दी गई, तो भविष्य में कोई भी सांसद भौतिक रूप से उपस्थित नहीं होगा। अदालत ने अब पंजाब सरकार को अगली सुनवाई में वह सभी सामग्री प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है, जिसके आधार पर अमृतपाल सिंह को संसद सत्र में शामिल होने की अनुमति देने से इंकार किया गया था।







