विधानसभा सत्र में कांग्रेस–भाजपा आमने-सामने, दोनों दलों की जोरदार नारेबाज़ी से बढ़ा राजनीतिक तनाव

धर्मशाला में विधानसभा सत्र के तीसरे दिन भी सियासी टकराव चरम पर रहा। विधानसभा गेट नंबर–1 के बाहर कांग्रेस और भाजपा के विधायक आमने-सामने आ गए और दोनों दलों ने एक-दूसरे के खिलाफ जोरदार नारेबाज़ी की। कांग्रेस ने प्रधानमंत्री द्वारा घोषित 1500 करोड़ रुपये की आपदा राहत राशि न मिलने का मुद्दा उठाया, जबकि भाजपा ने कर्मचारियों की देनदारियों, ग्रेच्यूटी, मेडिकल बिल और पेंशन भुगतान में देरी को लेकर सरकार को कटघरे में खड़ा किया।
दोनों दलों के बीच तीखी बयानबाज़ी
दिन की शुरुआत से ही विधानसभा परिसर के बाहर माहौल गर्म रहा। कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर आपदा राहत राशि रोकने का आरोप लगाया। इसके बाद भाजपा विधायकों ने कर्मचारियों के बकाया भुगतान को लेकर सरकार के खिलाफ “भीख माँगकर भाग गए” जैसे नारे लगाए, जिससे तनाव और बढ़ गया। दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर माहौल बिगाड़ने का भी आरोप लगाया।
भाजपा विधायकों ने कहा कि वे शांतिपूर्ण धरने पर बैठे थे, लेकिन कांग्रेस के विधायक तख्तियां लेकर उनके बीच आकर स्थिति भड़काने की कोशिश कर रहे थे। उनका कहना है कि सरकार अपनी कमियों को छिपाने के लिए केंद्र पर दोष मढ़ रही है और आपदा राहत राशि का सही उपयोग करने में नाकाम रही है।
कर्मचारियों के मुद्दे पर भाजपा का हमला
भाजपा ने आरोप लगाया कि महीनों से कर्मचारियों और पेंशनधारकों के भुगतान रोक दिए गए हैं।
उनकी मांग है कि सरकार सिर्फ भाषण न दे, बल्कि ग्रेच्यूटी, मेडिकल बिल और पेंशन का तुरंत भुगतान करे। भाजपा का कहना है कि सरकार इन अधिकारों पर राजनीति कर रही है, जिससे कर्मचारी सड़कों पर उतरने को मजबूर हैं।
कांग्रेस की आपदा राहत पर दो टूक प्रतिक्रिया
कांग्रेस ने याद दिलाया कि प्रधानमंत्री ने खुद 1500 करोड़ रुपये की घोषणा की थी, लेकिन राशि अब तक जारी नहीं की गई है। कांग्रेस के अनुसार यह किसी दल का मुद्दा नहीं बल्कि हिमाचल की तबाही और जरूरतमंद परिवारों की राहत का सवाल है। पार्टी ने कहा कि वे प्रदेश के हक की लड़ाई लड़ रहे हैं और तब तक आवाज उठाते रहेंगे जब तक राहत राशि नहीं मिल जाती।
दोनों दलों ने एक-दूसरे पर साधा निशाना
भाजपा ने आरोप लगाया कि कांग्रेस के पास न मुद्दा है, न जवाब। उनका कहना है कि राहत राशि को लेकर सरकार पूरी तरह असफल है और विधानसभा में जो तख्तियां लाई गईं, वह “मुख्यमंत्री की शह” पर हुआ एक राजनीतिक ड्रामा था। वहीं कांग्रेस ने कहा कि भाजपा शोर मचाने में माहिर है, समाधान देने में नहीं। उनके समय में भी कई आपदा फाइलें केंद्र में अटकी रहीं। कांग्रेस नेताओं का दावा है कि भाजपा भ्रम फैलाने में लगी है, जबकि सरकार प्रदेश की बेहतरी के लिए काम कर रही है।
मुख्यमंत्री की धर्मपत्नी और देहरा विधायक कमलेश ठाकुर का बयान
उन्होंने कहा कि प्रदेश की जनता का हक देने में देरी अस्वीकार्य है। हिमाचल ने बड़ी तबाही झेली है और राहत राशि हर परिवार के लिए जरूरी है। उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाया कि वह कर्मचारियों की समस्याओं पर राजनीति कर रही है और सरकार को असली मुद्दों से भटकाने की कोशिश कर रही है। उनका कहना है कि प्रदेश न्याय की मांग कर रहा है और इस आवाज़ को दबाया नहीं जा सकता। धर्मशाला में विधानसभा सत्र का तीसरा दिन साबित करता है कि राहत राशि और कर्मचारियों के मुद्दे पर दोनों दलों के बीच टकराव फिलहाल थमने वाला नहीं है।







