सोनभद्र खदान हादसा: 35 घंटे बाद भी रेस्क्यू जारी, पांच मजदूरों की मौत, कई अब भी फंसे

उत्तर प्रदेश के सोनभद्र में शनिवार 15 नवंबर को खदान धंसने के बाद शुरू हुआ रेस्क्यू अभियान 35 घंटे से अधिक समय बीत जाने के बावजूद जारी है। हादसे में अब तक पांच मजदूरों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि कई मजदूर अभी भी मलबे के नीचे फंसे हुए हैं। उन्हें सुरक्षित निकालने के लिए पुलिस, प्रशासन और रेस्क्यू टीमें लगातार प्रयास कर रही हैं। इसी मामले में खनन कंपनी के मालिक सहित तीन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।
घटना ओबरा थाना क्षेत्र के बिल्ली-मारकुंडी खनन इलाके में शनिवार दोपहर ढाई से तीन बजे के बीच हुई। बताया गया है कि कृष्णा माइनिंग स्टोन की खदान में ड्रिलिंग और ब्लास्टिंग के दौरान अचानक पहाड़ी का बड़ा हिस्सा ढह गया। उस समय 9 कंप्रेशर मशीनों के पास कई मजदूर काम कर रहे थे। पहाड़ टूटने पर कई मजदूर भाग निकले, जबकि कुछ लोग मलबे में दब गए।
घटना की सूचना मिलते ही पुलिस और प्रशासन मौके पर पहुँचा। बुलडोजर और क्रेन के साथ रेस्क्यू कार्य शुरू किया गया। इसके अलावा एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और फायर ब्रिगेड की टीमें भी बचाव अभियान में जुटी हुई हैं। शनिवार रात से लगातार मलबा हटाने का काम चल रहा है, लेकिन खदान की गहराई, टूटती चट्टानों के खतरे और दुर्गम रास्ते के कारण टीमों को अभी तक फंसे मजदूरों तक सीधे पहुँच नहीं मिली है। खदान में भरे पानी ने भी बचाव कार्य को और कठिन बना दिया है।
सोनभद्र के एसपी अभिषेक वर्मा मौके पर मौजूद हैं और पूरे अभियान की निगरानी कर रहे हैं। अब तक मिले पांच शवों में से चार शव शनिवार रात रेस्क्यू के दौरान निकाले गए। अनुमान है कि लगभग 12 से 14 मजदूर अभी भी फंसे हुए हैं। यह खदान राशपहरी पहाड़ी पर लगभग 400 फीट की गहराई में स्थित थी और इसे कृष्णा माइनिंग कंपनी को आवंटित किया गया था।
डीएम चंद्र विजय सिंह ने बताया कि चट्टान को हटाने की कोशिशें तेज कर दी गई हैं। लगभग 70 से 75 टन वजनी इस चट्टान को हटाने के बाद स्थिति स्पष्ट हो पाएगी। उन्होंने कहा कि स्थानीय थाने में एफआईआर दर्ज हो चुकी है और दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा रही है।







