जैसलमेर में होगी आर्मी कमांडर्स कॉन्फ्रेंस, ऑपरेशन सिंदूर के बाद रणनीतिक तैयारी पर रहेगा फोकस

ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारतीय थलसेना की पहली आर्मी कमांडर्स कॉन्फ्रेंस शनिवार को जैसलमेर में आयोजित की जा रही है। यह बैठक रणनीतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि इसका आयोजन भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा के करीब हो रहा है। इस कॉन्फ्रेंस में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह हिस्सा लेंगे और सेना के शीर्ष कमांडर्स को संबोधित करेंगे। आर्मी चीफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी सहित सभी सातों कमांड्स के आर्मी कमांडर्स इस बैठक में मौजूद रहेंगे।
इस कॉन्फ्रेंस का मुख्य एजेंडा ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारतीय सेना की तैयारियों, आधुनिकीकरण और भविष्य की रणनीति पर केंद्रित रहेगा। बैठक में दो मोर्चों पर एक साथ कार्रवाई की क्षमता, नई बटालियनों जैसे भैरो और अश्नी बटालियन की भूमिका, ड्रोन और मिसाइल सिस्टम के उपयोग तथा इन्फैंट्री के आधुनिकीकरण पर चर्चा होगी।
सीमा के पास सम्मेलन का विशेष महत्व
जैसलमेर में आयोजित यह बैठक सेना की ग्राउंड ऑपरेशनल तैयारी और सीमा सुरक्षा तंत्र की तत्परता का प्रतीक है। अंतरराष्ट्रीय सीमा के निकट यह आयोजन सेना को प्रत्यक्ष अनुभवों और सामरिक योजनाओं को एक साथ जोड़ने का अवसर देगा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह अपने संबोधन में सेना की उपलब्धियों की सराहना करेंगे और भविष्य की दिशा तय करने पर बल देंगे। वे ‘आत्मनिर्भर भारत’ के तहत स्वदेशी रक्षा निर्माण और तकनीकी नवाचार की अहमियत पर भी प्रकाश डालेंगे।
भविष्य की सैन्य दिशा तय करेगा सम्मेलन
जैसलमेर की यह आर्मी कमांडर्स कॉन्फ्रेंस केवल औपचारिक बैठक नहीं, बल्कि भारत की रणनीतिक सोच और भविष्य की सैन्य दिशा को निर्धारित करने वाला मंच मानी जा रही है। यह संदेश देती है कि भारतीय सेना हर परिस्थिति में देश की सीमाओं और गरिमा की रक्षा के लिए पूरी तरह तैयार है।
नौसेना कमांडरों के सम्मेलन में भी बोले रक्षा मंत्री
इससे पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नई दिल्ली में नौसेना कमांडरों के सम्मेलन को संबोधित किया। उन्होंने भारतीय नौसेना की उस तैयारी की सराहना की, जिसने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान को उसके तट के पास सीमित रहने पर मजबूर कर दिया। राजनाथ सिंह ने कहा कि इस ऑपरेशन ने दुनिया को भारतीय नौसेना की परिचालन क्षमता, पेशेवर दक्षता और ताकत का प्रदर्शन दिखाया है।






