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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: हर मामले में नहीं होगी CBI जांच, केवल असाधारण हालात में दिया जा सकता है आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि संवैधानिक अदालतों को सीबीआई जांच का आदेश देने में अत्यधिक सावधानी और संयम बरतना चाहिए। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सीबीआई जांच का सहारा केवल उन्हीं मामलों में लिया जाना चाहिए, जहां अन्य सभी विकल्प समाप्त हो चुके हों और जांच की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल उठ रहे हों।

इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश रद्द

जस्टिस जे. के. माहेश्वरी और जस्टिस विजय बिश्नोई की पीठ ने यह टिप्पणी इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले को रद्द करते हुए की, जिसमें उत्तर प्रदेश विधान परिषद के कर्मचारियों की भर्ती में कथित अनियमितताओं की जांच सीबीआई से कराने का निर्देश दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस तरह के आदेश केवल असाधारण परिस्थितियों में ही दिए जाने चाहिए।

“सिर्फ शक के आधार पर नहीं दी जा सकती जांच”

शीर्ष अदालत ने कहा कि सिर्फ इसलिए सीबीआई जांच का आदेश नहीं दिया जा सकता कि किसी पक्ष को राज्य पुलिस पर भरोसा नहीं है। अदालत को यह देखना होगा कि क्या उपलब्ध साक्ष्यों से प्रथम दृष्टया अपराध बनता है और क्या निष्पक्ष जांच के लिए केंद्रीय एजेंसी की आवश्यकता है।पीठ ने कहा, “सीबीआई को जांच का निर्देश देने की शक्तियां सीमित और विवेकपूर्ण हैं। यह तभी उचित है जब मामला अत्यंत जटिल हो, बड़े पैमाने पर फैला हो या राष्ट्रीय महत्व का हो, जहां केंद्रीय एजेंसी की विशेषज्ञता जरूरी हो जाती है।”

अंतिम उपाय के रूप में देखा जाए सीबीआई जांच

सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की कि सीबीआई जांच को हमेशा “अंतिम उपाय” के रूप में देखा जाना चाहिए। अदालतों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे एजेंसी पर अनावश्यक मामलों का बोझ न डालें, क्योंकि यह एजेंसी केवल असाधारण परिस्थितियों में हस्तक्षेप के लिए बनाई गई है।कोर्ट ने कहा कि न्यायिक संयम बनाए रखना संवैधानिक अदालतों की जिम्मेदारी है, ताकि जांच एजेंसियों की स्वायत्तता और प्रभावशीलता बनी रहे।

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