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मायावती की लखनऊ रैली: कांशीराम की पुण्यतिथि पर सपा, बीजेपी और कांग्रेस पर साधा निशाना

लखनऊ। बसपा संस्थापक कांशीराम की पुण्यतिथि के अवसर पर पार्टी प्रमुख मायावती ने लखनऊ के कांशीराम स्मारक स्थल पर बड़ी रैली आयोजित की। रैली में हजारों समर्थक और पार्टी कार्यकर्ता शामिल हुए। यह आयोजन 2021 के बाद पहली बार इतने बड़े स्तर पर किया गया।

रैली को संबोधित करते हुए मायावती ने कहा कि वह राज्य सरकार की आभारी हैं कि कांशीराम स्मारक की मरम्मत कराई गई। उन्होंने बताया कि टिकट से प्राप्त राशि का उपयोग इसी मरम्मत कार्य में किया गया। मायावती ने कहा कि सपा सरकार के कार्यकाल में स्मारकों की स्थिति खराब थी और उस समय सरकार ने रखरखाव के लिए धन का उपयोग नहीं किया।

सपा प्रमुख अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए मायावती ने कहा कि जब सपा सरकार में थी, तब कांशीराम के नाम पर बने नगरों और विश्वविद्यालयों के नाम बदले गए। उन्होंने कहा कि सत्ता में रहते हुए सपा को महापुरुषों की याद नहीं आती, लेकिन सत्ता से बाहर होने पर कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

मायावती ने सपा पर लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी पीडीए की बात कर अपनी राजनीति के स्वार्थ के लिए लोगों को भ्रमित कर रही है। सपा शासनकाल में आरक्षण में पक्षपात हुआ और माफिया-गुंडों को बढ़ावा मिला, जिससे कानून व्यवस्था बिगड़ी।

बीजेपी और कांग्रेस पर हमला बोलते हुए मायावती ने कहा कि दलितों की स्थिति दोनों ही पार्टियों के शासन में नहीं सुधरी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने कभी बाबा साहब अंबेडकर और कांशीराम को सम्मान नहीं दिया, जबकि बीजेपी दलितों से झूठे वादे करती है।बसपा प्रमुख ने कहा कि पार्टी को मजबूत बनाकर प्रदेश और केंद्र की सत्ता में लाना जरूरी है। उन्होंने बिहार सहित अन्य राज्यों के कार्यकर्ताओं से भी बसपा को मजबूत करने की अपील की।

मायावती ने कहा कि बसपा को कमजोर करने के लिए साजिशें की जा रही हैं। दलित समाज के कुछ स्वार्थी और बिकाऊ लोगों को आगे कर संगठन बनाए जा रहे हैं, ताकि बसपा की शक्ति कम हो। उन्होंने कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे ऐसे लोगों को वोट न दें और बसपा को मजबूत करें।

बसपा के घटते जनाधार पर नजर डालें तो 2007 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को 30.43 फीसदी वोट और 208 सीटें मिली थीं। 2012 में 25.91 फीसदी वोट और 80 सीटें, 2017 में 22.12 फीसदी वोट और 19 सीटें, जबकि 2022 में बसपा को मात्र 12.80 फीसदी वोट और एक सीट मिली। वर्तमान में बसपा के पास यूपी विधानसभा में केवल एक विधायक है और लोकसभा में कोई सांसद नहीं है।

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