रतन टाटा के निधन के बाद टाटा समूह में विवाद, नोएल टाटा और चंद्रशेखरन ने अमित शाह व निर्मला सीतारमण से की मुलाकात

उद्योगपति रतन टाटा के निधन के बाद टाटा समूह में अंदरूनी विवाद बढ़ गया है। टाटा ट्रस्ट में दो गुट बन गए हैं और इसके चलते बोर्ड नियुक्तियों और गवर्नेंस को लेकर मतभेद उभर कर सामने आए हैं। इस विवाद के बीच टाटा ट्रस्ट्स के अध्यक्ष नोएल टाटा और टाटा संस के अध्यक्ष एन चंद्रशेखरन ने गृह मंत्री अमित शाह और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की।
मुलाकात अमित शाह के आवास पर मंगलवार (8 अक्टूबर) शाम को हुई। इस बैठक में टाटा ट्रस्ट के उपाध्यक्ष वेणु श्रीनिवासन और ट्रस्टी डेरियस खंबाटा भी शामिल हुए। यह बैठक टाटा समूह में चल रहे आंतरिक विवाद और बोर्ड सीटों को लेकर सुलझाव के प्रयास के रूप में देखी जा रही है। सूत्रों के अनुसार, इस विवाद से 180 अरब डॉलर से अधिक के कारोबार पर असर पड़ सकता है।
विवाद की जड़ें रतन टाटा के निधन के बाद नोएल टाटा के ट्रस्ट अध्यक्ष बनने से जुड़ी हैं। ट्रस्ट में दो गुट बन गए हैं—एक नोएल टाटा का और दूसरा चार ट्रस्टियों का, जिसका नेतृत्व मेहली मिस्त्री कर रहे हैं। मेहली मिस्त्री का संबंध शापूरजी पलोनजी परिवार से है, जो टाटा संस का लगभग 18.37 प्रतिशत हिस्सा रखता है। उनका आरोप है कि उन्हें महत्वपूर्ण मामलों से दूर रखा गया है, विशेषकर टाटा संस में बोर्ड सीटों के मामले में।
विवाद 11 सितंबर की बैठक से बढ़ा, जिसमें पूर्व रक्षा सचिव विजय सिंह की टाटा संस बोर्ड में पुनर्नियुक्ति पर विचार होना था। चार ट्रस्टियों—मेहली मिस्त्री, प्रमित झावेरी, जहांगीर एचसी जहागीर और डेरियस खंबाटा ने इस प्रस्ताव का विरोध किया, जिसके बाद यह अस्वीकार हो गया। इसके बाद चारों ट्रस्टियों ने मेहली मिस्त्री को बोर्ड में नामित करने की मांग की, लेकिन इस पर भी सहमति नहीं बनी। विजय सिंह ने अंततः बोर्ड से इस्तीफा दे दिया।अब 10 अक्टूबर को टाटा ट्रस्ट्स बोर्ड की बैठक होने वाली है, जिस पर सभी की निगाहें टिकी हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह टकराव देश के सबसे बड़े औद्योगिक समूह पर असर डाल सकता है, इसलिए सरकार ने इसमें दखल देने की जरूरत महसूस की।