छिंदवाड़ा कफ सिरप कांड: तमिलनाडु की फैक्ट्री में गंदगी के बीच बन रही थी दवा, रिपोर्ट में 350 से ज्यादा खामियां उजागर

छिंदवाड़ा: मध्य प्रदेश में बच्चों की मौत से जुड़े कफ सिरप मामले में तमिलनाडु सरकार की रिपोर्ट ने चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। जांच में पाया गया कि जिस कंपनी में यह कफ सिरप तैयार किया गया था, वहां गंदगी के बीच उत्पादन हो रहा था और बुनियादी मानकों का गंभीर उल्लंघन किया गया था। तमिलनाडु ड्रग कंट्रोल विभाग की रिपोर्ट में 350 से अधिक खामियां दर्ज की गई हैं।
जांच में सामने आए गंभीर तथ्य
रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी के पास प्रशिक्षित स्टाफ, आवश्यक मशीनें, उपकरण और उचित सुविधाओं की भारी कमी थी। सिरप में प्रोपलीन ग्लाईकॉल और डाईएथिलीन ग्लाईकॉल जैसे रासायनिक पदार्थ पाए गए। सामान्यतः प्रोपलीन ग्लाईकॉल का सीमित उपयोग दवाओं और खाद्य उत्पादों में सुरक्षित माना जाता है, लेकिन इसकी अधिक मात्रा से विषाक्तता हो सकती है। वहीं, डाईएथिलीन ग्लाईकॉल एक औद्योगिक रसायन है, जिसका उपयोग ब्रेक फ्लुइड, पेंट और प्लास्टिक जैसे उत्पादों में होता है और मानव शरीर के लिए अत्यंत घातक है।रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ कि कंपनी ने 50-50 किलो प्रोपलीन ग्लाईकॉल बिना चालान के खरीदा था, जो अवैध श्रेणी में आता है। कई बार कंपनियां लागत बचाने के लिए प्रोपलीन ग्लाईकॉल की जगह सस्ते लेकिन जहरीले डाईएथिलीन ग्लाईकॉल का इस्तेमाल करती हैं, जिससे छिंदवाड़ा जैसी त्रासदियां घटती हैं।
छिंदवाड़ा में कोल्ड्रिफ सिरप से 14 बच्चों की मौत
मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में “कोल्ड्रिफ” कफ सिरप के सेवन से 14 बच्चों की मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया। जांच में सामने आया कि तमिलनाडु में निर्मित इस सिरप में डाईएथिलीन ग्लाईकॉल की खतरनाक मात्रा पाई गई। बच्चों की मौत गुर्दे की खराबी के कारण हुई थी।घटना के बाद राज्य सरकार ने तत्काल कार्रवाई करते हुए तीन अधिकारियों को निलंबित कर दिया और औषधि नियंत्रक का तबादला कर दिया। केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय स्तर पर स्वास्थ्य अलर्ट जारी किया, जिसके बाद देशभर में इस दवा का स्टॉक जब्त किया गया। केरल, कर्नाटक और अन्य राज्यों में दवा सुरक्षा से जुड़े दिशा-निर्देशों को और कड़ा किया गया है।
छुट्टी के दिन भी हुई जांच
गौरतलब है कि तमिलनाडु ड्रग कंट्रोल विभाग ने 1 और 2 अक्टूबर को, गांधी जयंती और दशहरा की छुट्टियों के बावजूद, कंपनी में जांच की। इस दौरान निरीक्षकों ने उत्पादन स्थल पर फैली गंदगी, रिकॉर्ड की कमी और निर्माण प्रक्रियाओं में गंभीर अनियमितताएं पाईं। रिपोर्ट के अनुसार, इन खामियों ने ही बच्चों की जान लेने वाली इस त्रासदी की नींव रखी।