H-1B वीज़ा पर ट्रंप की घोषणा से मचा हड़कंप, लेकिन राहत की खबर

नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा H-1B वीज़ा पर अचानक की गई घोषणा से तकनीकी क्षेत्र में हड़कंप मच गया है। इस बीच एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी ने स्पष्ट किया है कि मौजूदा वीज़ा धारकों को जल्दबाज़ी में अमेरिका लौटने या भारी शुल्क अदा करने की आवश्यकता नहीं है।अमेरिकी अधिकारी ने हिंदुस्तान टाइम्स से कहा,H-1B वीज़ा पर भारतीयों को रविवार तक अमेरिका लौटने या दोबारा प्रवेश के लिए 1,00,000 डॉलर का भुगतान करने की ज़रूरत नहीं है। यह नियम केवल नए वीज़ा धारकों पर लागू होगा, वर्तमान धारकों पर नहीं।
तकनीकी कंपनियों की चेतावनी से बढ़ी थी चिंता
इस घोषणा से पहले Microsoft, Amazon, Meta और JP Morgan जैसी दिग्गज कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को नोटिस जारी कर अमेरिका में ही रहने की सलाह दी थी। माइक्रोसॉफ्ट ने एक आंतरिक संदेश में H-1B और H-4 धारकों को समय सीमा से पहले लौटने की “दृढ़ अनुशंसा” की थी। यही नहीं, अन्य कंपनियों ने भी 21 सितंबर, सुबह 12:01 बजे (EST) की समय सीमा का हवाला देते हुए वीज़ा धारकों को अमेरिका लौटने के लिए कहा था।
ट्रंप प्रशासन ने लगाया $100,000 वार्षिक शुल्क
दरअसल, ट्रंप प्रशासन ने अमेरिकी कंपनियों पर हर H-1B वीज़ा कर्मचारी के लिए 1,00,000 डॉलर का वार्षिक शुल्क लगाने का फैसला किया है।पहले यह शुल्क अधिकतर मामलों में $215 से $750 तक था।कुछ विशेष परिस्थितियों में यह $5,000 से अधिक भी हो सकता था।अब सीधा शुल्क $100,000 कर दिया गया है।इस कदम का सबसे ज़्यादा असर भारतीयों पर पड़ने वाला है, क्योंकि H-1B वीज़ा धारकों में लगभग 71% भारतीय हैं। चीन दूसरे स्थान पर है, जिनका हिस्सा 11–12% है।
डोनाल्ड ट्रंप ने “कुछ गैर-आप्रवासी श्रमिकों के प्रवेश पर प्रतिबंध” नामक घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए। इसमें कहा गया कि H-1B कार्यक्रम मूल रूप से उच्च-कुशल और अतिरिक्त कामों के लिए अस्थायी श्रमिकों को लाने के लिए बनाया गया था, लेकिन कंपनियां इसका दुरुपयोग कर रही हैं और कम वेतन वाले विदेशी कर्मचारियों को अमेरिकी श्रमिकों की जगह पर नियुक्त कर रही हैं।