हिंदी दिवस पर 22वें राष्ट्रीय पुस्तक मेले में डाo के विक्रम राव: “पत्रकार की यात्रा, साहित्यकार/लेखक तक का हुआ आयोजन

देश के जाने माने अभिनेता/रंगकर्मी अनिल रस्तोगी, उत्तर प्रदेश के सूचना आयुक्त दिलीप अग्निहोत्री, सूचना आयुक्त पी एन द्विवेदी, संपादक सुधीर मिश्रा, वरिष्ठ पत्रकार राजीव श्रीवास्तव, वरिष्ठ पत्रकार राजकुमार सिंह व नवल कान्त सिन्हा ने अपने संस्मरण साझा किये।
लखनऊ: हिन्दी केवल भाषा नहीं, यह हमारी सभ्यता, संस्कृति और आत्मा की पहचान है। यही वह सूत्र है जो सम्पूर्ण भारत को एकता के धागे में पिरोता है। इन शब्दों के साथ स्वर्गीय डाo के विक्रम राव जी “पत्रकार की यात्रा, साहित्यकार/लेखक तक की परिचर्चा में चर्चा शुरू हुई| राव साहब की पत्नी एवं पूर्व मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डाo के सुधा राव ने अपने और राव साहब के 7 दशक के जीवन का परिचय दिया| प्रमुख वक्ता अनिल रस्तोगी (वैज्ञानिक/अभिनेता/रंगकर्मी) ने कहा कि श्री विक्रम राव जी को मैं 1978 से जानता था फ़िल्मों के बारे में उनकी बहुत जानकारी थी उन्होंने मेरे कई नाटकों की समीक्षा लिखी। उनके आर्टिकल पढ़कर मुझे आश्चर्य होता था कि कोई इतना विद्वान कैसे हो सकता है। उनकी मित्रता पर मुझे हमेशा फर्क होता था। बुंदेलखंड और गुजरात अकाल पर लिखे उनके आर्टिकल ऐतिहासिक है।
उत्तर प्रदेश के सूचना आयुक्त पी.एन. द्विवेदी ने कहा कि के.विक्रम राव मेरे पितृ स्वरूप थे। उन्होंने कहा कि हर पत्रकार एक साहित्यकार है। विक्रम राव साहब ने हिंदी को बहुआयामी स्वरूप दिया। वहीं उत्तर प्रदेश के सूचना आयुक्त श्री दिलीप अग्निहोत्री ने कहा कि विक्रम राव जी को पत्रकारिता का गहन अध्ययन था। विक्रम राव स्वयं पत्रकारिता के संस्थान थे। पत्रकार जब भी विश्लेषण लिखता है तो वो साहित्यकार हो जाता है। वाक्य रचना करना और शब्दों का प्रयोग करना विक्रम राव जी को बखूबी आता था।
संपादक श्री सुधीर मिश्रा ने कहा कि विक्रम राव जी तात्कालिक विषयों पर ऐतिहासिक साक्ष्यों के साथ लिखते थे। किसी भी पत्रकार के अच्छा लिखने पर वे उनको सीधे फोन कर उसको बधाई देते थे और सुझाव भी देते थे | उनकी यह आदत उस पत्रकार को हमेशा नई ऊर्जा देती थी। विक्रम राव जी एक बेहद संवेदनशील पत्रकार और साहित्यकार रहे। वरिष्ठ पत्रकार राजकुमार सिंह ने कहा कि श्री राव साहब को ईश्वर ने वो आँखे दी जिससे वो विषय को अलग दृष्टि से देखने की क्षमता रहते थे। डाo लोहिया पर उन्होंने बहुत काम किया। पत्रकार के साथ साथ उन्होंने स्वयं को लेखक के तौर पर भी स्थापित किया। विक्रम राव जी एक आदर्श थे और रहेंगे।
वरिष्ठ पत्रकार श्री राजीव श्रीवास्तव ने कहा कि के विक्रम राव जी 62 वर्ष के पत्रकारीय अनुभव से हमेशा सीखा जा सकता है। उन्होंने पत्रकारिता की साधना की इसीलिए वो जीवन के अंतिम दिन तक लिखते रहे और वो पत्रकारिता को उच्चतम शिखर पर ले गए। मेरे जैसे बहुत लोग उनसे बहुत कुछ प्राप्त करते थे। ये हम सबका सौभाग्य है कि उन्होंने उत्तर प्रदेश को अपने जीवन का बहुत समय दिया।
वरिष्ठ पत्रकार श्री नवल कांत सिन्हा ने कहा कि श्री विक्रम राव जी हमेशा अपने से आगे वाली पीढ़ी को कनेक्ट करते थे। IPS की नौकरी छोड़कर उन्होंने ये साबित किया कि एक पत्रकार सबसे बड़ा होता है। उनकी रिसर्च की पूरी दुनिया में प्रशंसा होती है। सूखी खबर को रुचिकर बनाना विक्रम राव साहब को बखूबी आता था।
परिचर्चा का संचालन वरिष्ठ पत्रकार शिल्पी सेन ने किया। शिल्पी सेन ने संचालन के दौरान विक्रम राव जी के कई प्रसिद्ध टिप्पणियों का उल्लेख करते हुए कहा कि यह मेरा सौभाग्य है कि विक्रम राव जी के ने हमेशा नई पीढ़ी के पत्रकारों को वर्तनी और व्याकरण के सही प्रयोग को लेकर जागरूक किया। कार्यक्रम के अंत में वरिष्ठ पत्रकार और संपादक शिवशरण सिंह ने कार्यक्रम में आये सभी अतिथियों को धन्यवाद ज्ञापित किया।