बिहार मतदाता सूची संशोधन पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, 65 लाख नाम हटाने पर विवाद तेज

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को बिहार में मतदाता सूची संशोधन (SIR) से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई करेगा। याचिकाकर्ताओं ने संशोधन प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाए हैं। निर्वाचन आयोग के अनुसार, इस प्रक्रिया में बिहार के 65 लाख से अधिक मतदाताओं के नाम सूची से हटाए जाने की संभावना है।
पिछली सुनवाई में दस्तावेजों पर सवाल
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने आधार कार्ड, राशन कार्ड और वोटर ID को मतदाता पहचान के लिए मान्य दस्तावेज मानने का सुझाव दिया था। हालांकि, चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि केवल इन दस्तावेजों के आधार पर किसी का नाम मतदाता सूची में जोड़ा नहीं जा सकता।निर्वाचन आयोग द्वारा 27 जुलाई को जारी पहले चरण के आंकड़ों के अनुसार 22 लाख मतदाताओं की मृत्यु हो चुकी है,36 लाख लोग स्थायी रूप से राज्य से बाहर जा चुके हैं,लगभग 7 लाख नाम एक से अधिक स्थानों पर पाए गए।
राजनीतिक घमासान तेज
विपक्ष का आरोप है कि आयोग बीजेपी के पक्ष में काम कर रहा है, जबकि बीजेपी का कहना है कि हार के डर से विपक्ष बेबुनियाद आरोप लगा रहा है।सोमवार को राहुल गांधी की अगुवाई में विपक्षी सांसदों ने इस मुद्दे पर चुनाव आयोग तक मार्च करने की कोशिश की। आयोग ने विपक्ष के 30 नेताओं को बातचीत के लिए बुलाया था, लेकिन विपक्ष करीब 200 सांसदों के साथ वहां पहुंचना चाहता था। पुलिस ने बिना अनुमति मार्च कर रहे नेताओं को आगे बढ़ने से रोका और हिरासत में ले लिया।राहुल गांधी ने कहा —यह लड़ाई राजनीतिक नहीं है, यह संविधान को बचाने और ‘वन मैन, वन वोट’ के अधिकार की लड़ाई है। हमें साफ और निष्पक्ष वोटर लिस्ट चाहिए।