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राजा रघुवंशी हत्याकांड पर आधारित फिल्म ‘हनीमून इन शिलांग’ का ऐलान, परिवार और निर्देशक ने साझा की जानकारी

नई दिल्ली। बहुचर्चित राजा रघुवंशी हत्याकांड और उनकी पत्नी सोनम रघुवंशी की कथित बेवफाई की सच्ची कहानी अब सिल्वर स्क्रीन पर नजर आएगी। इस हाई-प्रोफाइल मामले पर आधारित फिल्म ‘हनीमून इन शिलांग’ का औपचारिक ऐलान किया गया है। राजा रघुवंशी के परिवार और फिल्म के निर्देशक एस.पी. निम्बावत ने संयुक्त रूप से एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में फिल्म की घोषणा की।

प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन राजा के पैतृक निवास पर किया गया, जहां उनके भाइयों ने मीडिया को फिल्म से संबंधित जानकारी दी। फिल्म निर्माता और निर्देशक एस.पी. निम्बावत ने बताया कि उन्होंने खुद राजा रघुवंशी के परिवार से मुलाकात कर उनकी अनुमति और सुझावों के साथ फिल्म की स्क्रिप्ट तैयार की है।

“यह सिर्फ एक फिल्म नहीं, सच्चाई का दस्तावेज़ है” – एस.पी. निम्बावत

निर्देशक एस.पी. निम्बावत ने बताया कि यह फिल्म एक सस्पेंस से भरपूर मर्डर मिस्ट्री होगी, जिसमें राजा रघुवंशी की निजी जिंदगी, वैवाहिक संबंधों और हत्या की परिस्थितियों को पर्दे पर उतारा जाएगा। “हम इस केस को पूरी ईमानदारी और सच्चाई के करीब दिखाने का प्रयास करेंगे। हमारा उद्देश्य किसी को दोषी या निर्दोष ठहराना नहीं, बल्कि लोगों के सामने तथ्यों को रखना है,” – एस.पी. निम्बावत, निर्देशक

फिल्म की शूटिंग इंदौर और शिलांग में की जाएगी। निर्माता ने यह भी स्पष्ट किया कि इसमें अनुभवी और प्रतिभाशाली कलाकारों को कास्ट किया जाएगा। फिल्म का पहला पोस्टर भी जारी किया गया है, जिसमें फिल्म के निर्देशक, निर्माता और कास्टिंग टीम के नाम शामिल हैं।

हत्या, लापता और गिरफ्तारी: क्या थी पूरी घटना?

राजा रघुवंशी अपनी पत्नी सोनम रघुवंशी के साथ हनीमून के लिए शिलांग गए थे। वहीं से दोनों अचानक लापता हो गए। कुछ दिनों बाद राजा का शव एक गहरी खाई से बरामद हुआ, जबकि सोनम को उत्तर प्रदेश के गाजीपुर से हिरासत में लिया गया।इस मामले में शिलांग पुलिस अब तक 8 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है, जिनमें से 3 को जमानत मिल चुकी है। सोनम पर भी पति की हत्या में संलिप्त होने का शक है, हालांकि पुलिस ने अभी तक हत्या के ठोस कारणों का खुलासा नहीं किया* है। मामला फिलहाल अदालत में विचाराधीन है।

फिल्म को लेकर परिवार की उम्मीदें

राजा रघुवंशी के परिजनों का मानना है कि यह फिल्म सिर्फ एक मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि जनता को सच्चाई से अवगत कराने का माध्यम बन सकती है। परिजनों ने उम्मीद जताई कि फिल्म से न्यायिक प्रक्रिया को नई दिशा मिल सकती है और राजा को न्याय दिलाने में मदद भी।हालांकि, केस की न्यायिक सुनवाई जारी होने के बावजूद फिल्म की घोषणा ने सार्वजनिक बहस को जन्म दे दिया है—क्या ऐसे संवेदनशील मामलों पर फिल्म बनाना उचित है? यह सवाल भी अब चर्चा का विषय बनता जा रहा है।

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