भारत: विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था – एक ऐतिहासिक छलांग

2025 की शुरुआत में भारत ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की — वह अब विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है, जर्मनी को पीछे छोड़ते हुए। यह न केवल आर्थिक दृष्टि से एक महत्वपूर्ण पड़ाव है, बल्कि वैश्विक शक्ति संतुलन में भारत की बढ़ती भूमिका का भी संकेतक है। परंतु यह उपलब्धि केवल आंकड़ों की बाज़ीगरी नहीं है, बल्कि दशकों की नीतिगत दूरदृष्टि, आर्थिक सुधारों और जनशक्ति की मेहनत का परिणाम है।
वास्तविकता के तथ्य
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और विश्व बैंक के अनुसार 2024 के अंत तक भारत की GDP लगभग 4.1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच चुकी थी।
भारत ने जर्मनी को पीछे छोड़ा जिसकी GDP लगभग 4.0 ट्रिलियन डॉलर पर स्थिर थी, और अब भारत केवल अमेरिका, चीन और जापान से पीछे है।
भारत की अर्थव्यवस्था में वास्तविक GDP वृद्धि दर 7% से ऊपर बनी रही, जो विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज़ रही।
यह कैसे संभव हुआ ?
1. आर्थिक सुधारों की श्रृंखला: 1991 के उदारीकरण से लेकर GST, IBC, DBT और उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजनाओं तक, सरकारों ने लगातार संरचनात्मक सुधार किए।
2. डिजिटल क्रांति: UPI, डिजिटल इंडिया, और जनधन योजना जैसे कार्यक्रमों ने वित्तीय समावेशन को तेज़ी से बढ़ाया।
3. जनसंख्या लाभांश: भारत की युवा आबादी (औसत आयु 29 वर्ष) ने खपत, श्रम और नवाचार को आगे बढ़ाया।
4. सेवा और तकनीक क्षेत्र में नेतृत्व: IT और BPO सेक्टर ने निर्यात बढ़ाया और विदेशी मुद्रा आय का स्थायी स्रोत बना।
5. इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश: हाईवे, रेलवे, एयरपोर्ट, बंदरगाह और डिजिटल बुनियाद पर हुए बड़े निवेश ने सप्लाई चेन को सशक्त किया।
प्रमुख चुनौतियाँ
1. बेरोज़गारी और कौशल असमानता: रोजगार की गुणवत्ता और युवाओं के कौशल में अंतर अब भी बड़ी चुनौती है।
2. असमानता और गरीबी: आर्थिक वृद्धि के बावजूद देश के ग्रामीण और वंचित वर्ग अब भी पीछे हैं।
3. बुनियादी शिक्षा और स्वास्थ्य: मानव पूंजी की मजबूती के लिए शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में अभी भी व्यापक सुधार की ज़रूरत है।
4. आर्थिक क्षेत्रीय विषमता: दक्षिण और पश्चिम भारत तेज़ी से विकसित हो रहे हैं, लेकिन पूर्वी और मध्य भारत अब भी पीछे हैं।
5. प्राकृतिक संसाधनों और पर्यावरण पर दबाव: औद्योगिक विस्तार और शहरीकरण ने पर्यावरणीय असंतुलन को जन्म दिया है।
आगे की राह
‘विकसित भारत 2047’ के लक्ष्य को साकार करने के लिए समावेशी विकास, हरित तकनीक, नवाचार और सामाजिक न्याय को समान प्राथमिकता देनी होगी।
मैन्युफैक्चरिंग और MSME को बढ़ावा देना अत्यंत आवश्यक है ताकि रोजगार के अवसरों में वृद्धि हो।
विदेशी निवेश (FDI) और व्यापार में संतुलन बनाते हुए आत्मनिर्भरता और वैश्विक सहभागिता का समन्वय आवश्यक है।
भारत का विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना एक मील का पत्थर है, परंतु यह अंत नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत है। यह उपलब्धि केवल GDP की रैंकिंग नहीं, बल्कि भारत की संभावनाओं, परिश्रम और प्रबंधन क्षमता की वैश्विक स्वीकृति है। अब समय है इस विकास को सतत, समावेशी और संतुलित दिशा में ले जाने का — ताकि “विकसित भारत” केवल एक सपना नहीं, एक सच्चाई बन सके।
विवेक तिवारी
वरिष्ठ पत्रकार