उत्तराखंड

भारी बारिश और लैंडस्लाइड की वजह से शिमला में निर्माणाधीन टनल गिरी, पहले ही निकल चुके थे कर्मचारी

हिमाचल। शिमला में मंगलवार को एक बड़ा हादसा होते-होते बच गया। कालका से शिमला निर्माणाधीन फोरलेन पर संजौली के चलौंठी में टिटरी टनल का काम चल रहा है। सोमवार सुबह यहां पर कुछ पत्थर और मिट्टी गिरना शुरू हो गई। तुरंत ही (NHAI} कंपनी के मैनेजर अचल जिंदल ने सूझ बूझ दिखाते हुए काम कर रहे लेबर्स और सारी मशीनरी को बाहर निकलवा दिया। और आज सुबह भारी बारिश के कारण लैंडस्लाइड होना शुरू हो गई जिससे टनल का मेन गेट बन्द हो गया। अंचल जिंदल की समझदारी की वजह से काफी लोगों की जान बच गई।

हिमाचल में बादल फटने से तबाही

देश के पहाड़ी हिस्सों में बारिश होने पर भूस्खलन की कई घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें बड़ी संख्या में जान और माल का नुकसान हुआ है। हिमाचल प्रदेश के तीन जिलों में 31 जुलाई की मध्यरात्रि को बादल फटा था। इससे आई बाढ़ में जान गंवाने वालों की संख्या शुक्रवार को 26 हो गई थी। शिमला जिले के सुन्नी कस्बे के पास डोगरी इलाके में शुक्रवार सुबह चार शव बरामद किए गए।

बादल फटने की यह घटना कुल्लू के निरमंड, सैंज और मलाणा, मंडी के पधर और शिमला के रामपुर उपमंडल में हुई। सबसे ज्यादा नुकसान शिमला और कुल्लू जिले की सीमा पर स्थित समेज गांव को हुआ, जहां करीब 20 लोग अब भी लापता हैं। कुल मृतकों में से 14 शव रामपुर से, नौ मंडी के राजभान गांव से और तीन कुल्लू जिले के निरमंड/बागीपुल से बरामद किए गए हैं। अधिकारियों ने बताया कि 27 जून से आठ अगस्त के बीच बारिश से जुड़ी घटनाओं में कुल 100 लोग जान गंवा चुके हैं और राज्य को करीब 802 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।

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