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घरों में पड़ने लगी दरारें, धंसने लगी जमीन; शिमला में भी जोशीमठ जैसे हालात

शिमला। उत्तराखंड के जोशीमठ जैसी त्रासदी अब हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में भी नजर आने लगी है। शिमला के समरहिल में मकानों में दरारे चौड़ी होती जा रही हैं। दरारों के कारण मकान बीचोबीच दो भागों में बंटता जा रहा है। लोअर समरहिल में लोगों के घरो को लगातार खतरा बना हुआ है।

हालात इतने खराब है की जमीन धंस रही है और घरों में दरारें आ चुकी है। समर हिल के शिव मंदिर में हुए भूस्खलन के हादसे से अभी लोग उभर नहीं थे ऐसे में अब लोगों पर मुसीबत बनकर यह दरारें आ गई है।

शिमला के नरेश के साथ भी कुछ ऐसा हुआ है। नरेश ने जानकारी देते हुए बताया कि वह पिछले 7 सालों से अपनी मेहनत की जमा पूंजी को इस घर में लगा रहे थे इस घर में किराए के लिए भी कमरे बनाए थे। सोचा था इस भवन से कुछ आय भी हो पाएगी।

इसलिए अपने जीवन की सारी पूंजी इस घर में लगा दी, लेकिन नरेश को क्या पता था कि 1 दिन उसे अपने सपनों का यह घर छोड़कर जाना पड़ेगा। माहौल ऐसा था कि नरेश अपना दर्द बताते बताते कमरे पर ही रो पड़े। शायद यह वही दर्द है जो सपना टूटने के बाद महसूस होता है।

नरेश के घर में आई दरारें

नरेश के घर के चारों तरफ दरारे आ चुकी है। रास्ते से लेकर घर के ग्राउंड फ्लोर तक चारों तरफ मोटी-मोटी दरारें साफ दिखाई देती है। घर के सामने की तरफ की दीवार में भी बड़ी सी दरार नजर आ रही हैं। आलम यह है कि यह पूरा क्षेत्र रहने लायक नहीं रह गया है। इसीलिए एक-एक चीज को जोड़कर जो घर उसने बनाया था आज उसी को खाली करने को नरेश मजबूर हो गए हैं। इसीलिए नरेश यहां से घर खाली कर कर दूसरी जगह पर जा रहे हैं।

दहशत में लोग

स्थानीय पार्षद विरेंद्र ठाकुर ने जानकारी देते हुए बताया कि नरेश चौहान की तरह ही दूसरे घरों पर भी इसी तरह का खतरा बना हुआ है। दूसरे घरों में भी इसी तरह से दरारे आ चुकी है, लेकिन उन लोगों के पास दूसरी जगह जाने के लिए कोई विकल्प नहीं है। भवनों में आ रही दरारों के कारण लोग दहशत में है। उनका कहना है कि अगर जल्द ही इस समस्या का समाधान नहीं किया गया तो समरहिल का हाल भी जोशीमठ की तरह हो जाएगा।

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