क्रिएटिविटी के नाम पर हिंदू आस्था पर चोट क्यों ?
काली फिल्म का विवादित पोस्टर सामने आने के बाद से ही देशभर में हंगामा मचा है। इसका कारण फिल्म पोस्टर के जरिए धार्मिक भावनाओं को भड़काना है। लीना पर धार्मिक भावनाएं आहत करने और हिंदू भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगा है। इसके साथ ही सोशल मीडिया पर लगातार हैशटैग चलाकर उनके खिलाफ गिरफ्तारी की मांग की जा रही है।
आपको बता दें कि ये पहली बार नहीं है जब किसी ने अपने फिल्म या पोस्टर या फिर फिल्मों में डाॅयलाग्स के जरिए हिंदू देवी देवताओं का मज़ाक उड़ाया है। और ना ही लीना मणिमेकलाई पहली बार विवादों में घिरी है। इससे पहले भी चाहे वो बाॅलीवुड की फिल्में हों या फिर साउथ की ऐसा कई बार हुआ है जब क्रिएटिविटी के नाम पर हिंदू आस्था पर चोट की गई है। लेकिन बड़ी बात ये है कि इस पर भारत में लोगों ने सड़कों को जाम नहीं किया और न ही कहीं पत्थरबाज़ी की, कहीं शाहीन बाग नहीं बनाया गया और न कहीं सर तन से जुदा के नारे नहीं लगाए गए। ये पहली बार नहीं है जब किसी मूवी द्वारा हिन्दू देवी देवता का उपहास बनाया गया हो। ये तो बॉलीवुड हो या टाॅलीवुड ट्रैंड बन चुका है।
आइए आपको बतातें हैं कुछ ऐसी ही फिल्मों के बारें मेंः
फिल्म तांडव
सैफ अली खान स्टारर वेब सीरीज तांडव में भी हिंदू देवी-देवताओं का अपमान किया गया था। इस सीरीज में दिखाए गए सीन पर जमकर बवाल हुआ था। सीरीज के एक सीन में कुछ लोग कॉलेज प्ले में भगवान शिव का किरदार निभाते नजर आ रहे हैं। लेकिन इस प्ले के दौरान भगवान का किरदार निभाने वाले कलाकारों की वेशभूषा और उनकी बातचीत पर लोगों से कड़ी आपत्ति जताई थी। साथ ही हिंदू देवी-देवताओं का अपमान करने के लिए इसे बैन करने की भी मांग की थी।
PK
2014 में आई आमिर खान की फिल्म पीके में हिंदू-देवी देवताओं का अपमान किया गया। अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर इस फिल्म के एक सीन में भगवान शंकर का रूप धरे एक शख्स को डर के मारे भागते हुए टॉयलेट में दिखाया गया।
लूडो
अनुराग बसु की फिल्म लूडो में सांकेतिक रूप से हिन्दू संस्कृति को चोट पहुँचाने की कोशिश की गई। इस फिल्म में स्वांग रचने वाले तीन लोग ब्रह्मा, विष्णु, महेश का रूप बना सड़क पर नाचते-कूदते दिखाया गया है। इतना ही नहीं, एक सीन में तो भगवान शंकर और महाकाली को गाड़ी में धक्का लगाते हुए भी दिखाया गया है।
ए सूटेबल ब्वॉय
वेब सीरिज ए सूटेबल ब्वॉय में मंदिर प्रांगण में अश्लील सीन फिल्माने के साथ ही लव जिहाद को बढ़ावा देने का आरोप लगा। इस फिल्म को लेकर हिंदू संगठनों ने जमकर विरोध किया था।
सेक्सी दुर्गा
फिल्म सेक्सी दुर्गा के टाइटल को लेकर जमकर बवाल हुआ था। बाद में सेंसर बोर्ड ने फिल्म का नाम एस दुर्गा करवा दिया था। इसके साथ ही सेंसर बोर्ड ने इस फिल्म में 21 ऑडियो कट लगाते हुए इसे U/A सर्टिफिकेट दिया था। इस मूवी में राजश्री देशपांडे लीड रोल में हैं।
लक्ष्मी बॉम्ब
अभिनेता अक्षय कुमार की फिल्म ‘लक्ष्मी’ भी अपने टाइटल की वजह से काफी विवादों में रही थी। दरअसल, फिल्म का नाम पहले ‘लक्ष्मी बॉम्ब’ रखा गया था। लेकिन देवी लक्ष्मी के नाम के साथ बॉम्ब शब्द के इस्तेमाल पर हिंदू संगठनों ने कड़ी आपत्ति जताई थी। उनका मानना था कि यह माता लक्ष्मी का अपमान है। ऐसे में इसके नाम को बदलकर ‘लक्ष्मी’ कर दिया गया था।
‘अतरंगी रे’
21 दिसम्बर 2021 को रिलीज हुई फ़िल्म ‘अतरंगी रे’। इस फिल्म के कई दृश्यों में हिन्दू देवी-देवताओं और धर्मग्रंथों का अपमान किया गया है, जिससे लोग आक्रोशित थे। भगवान शिव और हनुमान जी को लेकर अपशब्दों का प्रयोग किया गया है, तो रामायण की भी आपत्तिजनक व्याख्या की गई है। फिल्म में हिन्दू लड़की और मुस्लिम लड़के को दिखा कर ‘लव जिहाद’ को भी बढ़ावा दिया गया है। फिल्म के एक दृश्य में सारा अली खान कहती हैं, “हनुमान जी का प्रसाद समझे हैं, जो कोई भी हाथ फैलाएगा और हम मिल जाएँगे?
ब्रह्मास्त्र
9 सितंबर 2022 को आ रही फिल्म ब्रह्मास्त्र के ट्रेलर में मंदिर के अंदर रणबीर जूते पहनकर एंट्री ले रहे हैं और जूता पहनकर मंदिर की घंटियां बजा रहे हैं। रणबीर कपूर एक हिन्दू समुदाय से हैं, क्या वो नही जानते कि मंदिर में जूते-चप्पल पहनकर नहीं जाते। इस दृश्य को देखकर लोगों में गुस्सा है और इस फिल्म का बहिष्कार करने की भी बात की जा रही है।
इस तरह जान-बूझकर मंदिर, देवी-देवताओं का अपमान और महत्वपूर्ण बात ये है कि ये सब अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर किया जा रहा है। सोचिए विचारों को प्रकट करने की आजादी जिसे अभिव्यक्ति का अधिकार कहा जाता है, वो कैसे सीमाओं को पार कर जाता है और हिंदू देवी-देवताओं के अपमान को सही ठहराने लगता है।
सोचिए हमारे देश में धार्मिक भेदभाव को बढ़ावा देने का आरोप लगता है। हिन्दू-मुस्लिम करने के आरोप लगाए जाते हैं, लेकिन जब मनोरंजन के नाम पर फिल्मों में हिंदू देवी-देवताओं का अपमान किया जाता है तो इस पर हमारे देश के बुद्धिजीवी मौन क्यों हो जाते हैं ?