यूपी : कोरोना काल में बढ़ा खादी का दायरा, बनाई युवाओं के बीच पहचान, स्वरोजगार से जुड़ रहे युवा
‘खादी केवल वस्त्र नहीं, बल्कि एक विचार है’, ये वाक्य भारत के राष्टपिता महात्मा गांधी ने कही थी। उत्तर प्रदेश में पांच साल पहले तक जो खादी अपनी पहचान को तरस रही थी, योगी सरकार ने उसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने का काम किया है। सरकार ने खादी को आम आदमी से तो जोड़ा ही है, साथ ही विदेशों में भी खादी को बढ़ावा देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर फैशन शो भी आयोजन किये।
खादी का दायरा बढ़ने से कोरोना काल के दौरान भी सरकार ने इसे विभिन्न परियोजनाओं से जोड़कर रोजगार के नए-नए अवसर पैदा किये हैं। इसके अलावा खादी एवं ग्रामोद्योग विभाग के अपर मुख्य सचिव डा. नवनीत सहगल ने खादी के जरिए लोगों को स्वरोजगार से जोड़ने की मुहिम को तेजी से आगे बढ़ाया। उन्होंने आधुनिकता के इस युग में खादी को फैशनेबुल रूप और रंगत देने के लिए देश के मशहूर फैशन डिजाइनर्स को खादी से जोड़ा।
जब हम खादी की बात करते हैं तो खादी स्वदेशी, सम्मान और स्वावलंबन से जुड़ता है। प्रधानमंत्री मोदी ने महामारी के दौरान देश को आत्मनिर्भर भारत का एक नया मंत्र दिया साथ ही लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हमें ‘वोकल फॉर लोकल’ के लिए भी प्रोत्साहित किया। यूपी में खादी को बढ़ावा देने के लिए नित नए-नए प्रयोग किये जा रहे हैं। स्वदेश की परिकल्पना पर आधारित खादी अब यूपी में युवाओं की पहली पंसद बन चुकी है। योगी सरकार ने खादी उद्योग से जुड़ने के लिये युवाओं को लगातार प्रेरित किया।
इसी वजह से यूपी में खादी विकास और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) ने 75 जिलों में 185 परियोजनाओं को 786.06 लाख रुपये की अनुदान राशि दी जिससे यूपी के 1480 लोगों को रोजगार मिल पाया। बेरोजगार युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ने वाला खादी उद्योग यूपी में रोज बढ़ रहा है। खादी एवं अन्य छोटे उद्योगों के लिए बेहतर बाजार स्थापित करने की कोशिश जारी है। खादी उत्पादों के प्रति बढ़ते रुझान का असर है कि लखनऊ, बुलंदशहर, हापुड़, फतेहपुर, बाराबंकी, औरैया, हरदोई, ललितपुर, लखीमपुर खीरी, वाराणसी, चंदौली, शामली, प्रतापगढ़ में उद्योग बढ़ा और युवाओं को बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर मिलना शुरू हुए।
इसके लिए मुख्यमंत्री खादी ग्रामोद्योग रोजगार योजना शुरू की गई, जिसमें प्रदेश के बेरोजगार युवाओं को 10 लाख रुपये का ऋण देने का प्रावधान है ताकि अपना व्यवसाय और रोजगार शुरू कर सकें। इस योजना का लाभ मुख्य रूप से आईटीआई और पॉलिटेक्निक ट्रेनिंग सेंटर से प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले बेरोजगार युवाओं को दिया जाता है। स्वरोजगार में दिलचस्पी रखने वाली महिलाएं भी इस योजना का लाभ उठा सकती हैं। यूपी के गरीब बेरोजगार युवाओं के लिए यह योजना खास तौर पर शुरू की गई है।
इसके अलावा अपर मुख्य सचिव खादी एवं ग्रामोद्योग डा. नवनीत सहगल ने खादी के जरिए लोगों को स्वरोजगार से जोड़ने की मुहिम को तेजी से आगे बढ़ाया। आधुनिकता के इस युग में खादी को फैशनेबुल रूप और रंगत देने के लिए देश के मशहूर फैशन डिजाइनर्स को खादी से जोड़ा। यूपी दिवस पर अवध शिल्प ग्राम में खादी फैशन-शो का आयोजन किया। जिसमें फेमस फैशन डिजाइनर रितु बेरी, रीना ढाका, मनीष मल्होत्रा, आस्मा हुसैन, रूना बनर्जी द्वारा डिजाइन किए गए खादी वस्त्रों को पहनकर मॉडल्स रैम्प वॉक करते नजर आये।
पिछले साल 16 अक्टूबर से लखनऊ के इंदिरा गाँधी प्रतिष्ठान में सजे खादी सिल्क महोत्सव 2021 में अब तक साढ़े तीन करोड़ से अधिक की बिक्री हुई। खादी महोत्सव में इस बार स्वदेशी उत्पादों का बोलबाला नजर आया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अपील के बाद लोगों ने स्वदेशी उत्पादों की जमकर खरीदारी की। पहले स्वदेशी उत्पादों की मांग धीरे धीरे कम हो गई थी पर प्रदेश सरकार की ‘एक जनपद एक उत्पाद’ की योजना, माटी कला बोर्ड से जुड़ी योजनाओं से जुड़कर लोग आत्मनिर्भर बन रहे हैं। इन स्वर्णिम योजनाओं के चलते स्वदेशी उत्पादों की मांग में तेजी से इजाफा हुआ है।
खादी के साथ सिल्क और माटी के बेहतरीन उत्पादों का जादू लोगों के सिर चढ़कर बोला। खादी महोत्सव से ‘वोकल फॉर लोकल’ को बढ़ावा मिला। लखनऊ की चिकनकारी, भदोही की कालीन, वाराणसी का सिल्क, गोरखपुर का टेराकोटा, फिरोजाबाद का गिलास, बंदायू की जरी जरदोजी जैसे उत्पादों की लोगों ने जमकर खरीदारी की। इसके साथ ही जूट, घास और बांस आदि के ईको फ्रेंडली उत्पाद ने भी लोगों को खूब लुभाया।
खादी के विकास के लिए सरकार के उठाए गए कदम खादी उद्योग को बढ़ाने के प्रयासों में मदद कर रहे हैं। युवाओं के सपनों को साकार करने वाली योगी सरकार ने अपनी विभिन्न योजनाओं व कार्यक्रमों से रोजगार के अवसर दिलाने का लक्ष्य प्राप्त किया है। खादी के उत्पादों के प्रति बढ़ते रुझान का असर है कि युवाओं को बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर मिलना शुरू हुए। यूपी में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों को बढ़ावा देने के लिये मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विकास का जो मॉडल रखा। उसके चलते गांवों में उद्योग तो बढ़े ही, साथ में गांव-गांव से युवाओं का पलायन भी रुका।