प्राइमरी स्कूलों में तैनात प्रदेश के 40 लाख रसोईयों का चलेगा ट्रेनिंग कार्यक्रम
लखनऊ। प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों की सूरत बदलने के साथ वहां पढ़ने वाले बच्चों को उच्च गुणवत्ता का मिड डे मील मिल सकें। इसके लिए प्रदेश सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। मिड डे मील की क्या गुणवत्ता हो, सफाई से खाना किस तरह पकाया जाए,बच्चों को खाना परोसते समय कोविड प्रोटोकॉल का कैसे पालन हो रसोईयों को इसकी ट्रेनिंग देने के लिए वर्ल्ड फूड प्रोग्राम के तहत मध्यान्ह भोजन प्राधिकरण ने एक एप फोसफएमडीएम (FoSaFMDM) नामक डेवलप किया है। जिसके जरिए रसोईयों को ट्रेनिंग देने का काम किया जा रहा है। इस एप का लिंक प्राधिकरण की वेबसाइट यूपीएमडीएम पर भी दिया गया है।
मध्यान्ह भोजन प्राधिकरण के अनुसार इस एप को प्ले स्टोर से भी डाउनलोड किया जा सकता है। रसोईयों को ट्रेनिंग देने के लिए इस एप में 9 मॉड्यूल है, जिनको तीन हिस्सों में बांटा गया है। इनके जरिए उनको ट्रेनिंग दी जाएगी। प्रत्येक तीन मॉड्यूल में गुणवत्ता परक खाना कैसे बनाए, सफाई का ध्यान कैसे रखें समेत एक प्रश्नोत्तरी भी शामिल की गई है। इससे वह बेहतर तरीके से सीख सकेंगे। इसके अलावा पहले मॉड्यूल के सही जवाब देने के बाद ही वह दूसरे मॉड्यूल में जा सकेंगे। प्राधिकरण के अनुसार सभी मॉड्यूल को पास करने वाले रसोईयों को सार्टिफिकेट भी दिया जाएगा।
मध्यान्ह भोजन योजनान्तर्गत प्रदेश में लगभग 40 लाख रसोईया कार्यरत हैं, जिसमें लगभग 90 प्रतिशत महिलायें हैं। विद्यालय में पकाये जाने वाले मध्यान्ह भोजन की गुणवत्ता एवं शुद्धता बनाये रखने की मंशा के तहत रसोईयों के रूप में विद्यालयों में ऐसे अभिभावकों को प्राथमिकता दी गई है, जिनके बच्चें विद्यालय में पढ़ते हैं। प्राधिकरण द्वारा मोबाइल एप के साथ रसोईयों को बेहतर प्रशिक्षण देने के लिए कोरोना संक्रमण को ध्यान में रखते हुए “नवीन पोषणा प्रशिक्षण फिल्म” तैयार करायी गयी है, जो मध्यान्ह भोजन प्राधिकरण की वेबसाइट www.upmdm.org, मिशन प्रेरणा की वेबसाइट www.prernaup.in तथा यूट्यूब पर मौजूद है। प्रशिक्षण फिल्म के माध्यम से विद्यालय स्तर पर कार्यरत रसोइयों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। इसके बाद स्कूल का इंचार्ज अपने स्तर से पठन-पाठन के साथ भोजन पकाना, छात्रों को वितरण एवं छात्रों द्वारा भोजन ग्रहण किये जाने आदि में कोविड प्रोटोकाल का पूर्ण रूप से पालन किया जा रहा है। इस पर नजर बनाए रखता है।