‘तू मेरी मैं तेरा, मैं तेरा तू मेरी’ रिव्यू: सादगी और भावनाओं के सहारे आगे बढ़ती एक सुकूनभरी प्रेम कहानी

2025 की बहुप्रतीक्षित फिल्मों में शामिल *‘तू मेरी मैं तेरा, मैं तेरा तू मेरी’* एक हल्की-फुल्की रोमांटिक कॉमेडी है, जो आज की तेज रफ्तार जिंदगी में पुराने जमाने के प्यार की मासूमियत को तलाशती है। यह फिल्म बड़े दावे करने के बजाय रिश्तों की बारीकियों, भावनाओं और जिम्मेदारियों के टकराव को सरल अंदाज में पेश करती है। ‘सत्यप्रेम की कथा’ के बाद निर्देशक समीर विद्वान एक बार फिर कार्तिक आर्यन के साथ लौटे हैं और इस बार दर्शकों को एक सहज, फील-गुड लव स्टोरी देते हैं।
फिल्म की कहानी रेहान उर्फ रे और रूमी के इर्द-गिर्द घूमती है। रे एक आज़ाद ख्याल नौजवान है, जो वर्तमान में जीने में विश्वास रखता है और भविष्य की योजनाओं से दूरी बनाए रखता है। वहीं रूमी भावनात्मक रूप से परिपक्व है, प्यार में भरोसा करती है, लेकिन अपने परिवार और खासतौर पर अपने पिता से गहराई से जुड़ी हुई है। एक ट्रिप के दौरान दोनों की मुलाकात होती है और दोस्ती कब प्यार में बदल जाती है, इसका एहसास उन्हें खुद भी नहीं होता। शुरुआती हिस्से में दोनों की केमिस्ट्री सहज लगती है और फिल्म कई हल्के-फुल्के, मुस्कान बिखेरने वाले पल देती है।
कहानी में असली मोड़ तब आता है, जब रे शादी का प्रस्ताव रखता है। यहीं से फिल्म रिश्तों और जिम्मेदारियों की गहराई में उतरती है। रे की जिंदगी विदेश में पहले से तय दिशा में बढ़ रही है, जबकि रूमी अपने पिता को अकेला छोड़ने के डर से जूझ रही है। बहन की शादी और विदेश जाने की तैयारी इस दुविधा को और बढ़ा देती है। प्यार और परिवार के बीच फंसी रूमी का संघर्ष फिल्म का भावनात्मक केंद्र बनता है।
निर्देशन की बात करें तो समीर विद्वान कहानी को जरूरत से ज्यादा जटिल नहीं बनाते। फिल्म आराम से आगे बढ़ती है और ह्यूमर, रोमांस व इमोशन के बीच संतुलन बनाए रखती है। परिवार से जुड़े कई दृश्य दिल को छूते हैं और दर्शक किरदारों से जुड़ाव महसूस करता है। हालांकि दूसरा हाफ थोड़ा खिंचा हुआ लगता है और कुछ टकराव व मोड़ पहले से अनुमानित नजर आते हैं। अगर स्क्रीनप्ले थोड़ा और चुस्त होता, तो फिल्म का असर और गहरा हो सकता था।
टेक्निकल रूप से फिल्म सधी हुई है। सिनेमैटोग्राफी रिश्तों की गर्माहट और त्योहारों के रंगों को खूबसूरती से कैद करती है। बैकग्राउंड स्कोर भावनाओं को सपोर्ट करता है और एडिटिंग अधिकांश जगह पेस बनाए रखती है। प्रोडक्शन डिजाइन और कॉस्ट्यूम्स फिल्म को मॉडर्न और यूथफुल लुक देते हैं। संगीत फिल्म की आत्मा साबित होता है गाने कहानी के साथ बहते हैं और रोमांटिक व इमोशनल सीक्वेंस का असर बढ़ाते हैं। संवाद सरल, हल्के और कई जगह दिल को छू लेने वाले हैं।
अभिनय में कार्तिक आर्यन रे के किरदार में सहज और भरोसेमंद नजर आते हैं। वह ह्यूमर और भावनात्मक कमजोरी के बीच संतुलन बनाए रखते हैं। अनन्या पांडे रूमी के रोल में पहले से ज्यादा कॉन्फिडेंट और मैच्योर दिखती हैं; उनके किरदार की आंतरिक उलझन प्रभावी ढंग से सामने आती है। नीना गुप्ता मां के किरदार में गहराई जोड़ती हैं, जबकि जैकी श्रॉफ रूमी के पिता के रूप में सीमित स्क्रीन टाइम में भी प्रभाव छोड़ते हैं। सपोर्टिंग कास्ट फिल्म के हल्के-फुल्के टोन को बनाए रखती है।
कुल मिलाकर *‘तू मेरी मैं तेरा, मैं तेरा तू मेरी’* एक सुकून देने वाली रोमांटिक कॉमेडी है, जो प्यार, त्याग और पारिवारिक रिश्तों को सरल और ईमानदार अंदाज में सामने रखती है। यह फिल्म कोई बड़ा सिनेमाई प्रयोग नहीं करती, लेकिन भावनाओं, संगीत और अभिनय के दम पर दर्शकों को बांधे रखती है। अगर आप भारी ड्रामा से दूर, एक हल्की और दिल से जुड़ने वाली प्रेम कहानी देखना चाहते हैं, तो यह फिल्म छुट्टियों के मौसम में एक बार देखी जा सकती है







