संघ को बीजेपी के चश्मे से न देखें, देश को विश्व गुरु बनाना ही लक्ष्य: मोहन भागवत

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कोलकाता में आयोजित ‘आरएसएस 100 व्याख्यान माला’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि संघ को किसी राजनीतिक दल, खासकर बीजेपी के नजरिये से देखना गलत है। उन्होंने स्पष्ट किया कि संघ का उद्देश्य किसी राजनीतिक विचारधारा को आगे बढ़ाना नहीं, बल्कि भारत को फिर से विश्व गुरु बनाने के लिए समाज को तैयार करना है।
मोहन भागवत ने कहा कि संघ का प्रारंभ क्यों हुआ और किस उद्देश्य से हुआ, इसका उत्तर एक ही वाक्य में है भारत माता की जय। उन्होंने कहा कि भारत केवल एक भौगोलिक देश नहीं, बल्कि एक विशेष स्वभाव, संस्कृति और परंपरा का नाम है। संघ का लक्ष्य इसी परंपरा को जीवित रखते हुए देश को विश्व गुरु की भूमिका में स्थापित करना है।
उन्होंने जोर देते हुए कहा कि संघ किसी राजनीतिक उद्देश्य के लिए नहीं बना है और न ही यह किसी से प्रतिस्पर्धा या विरोध की भावना लेकर खड़ा हुआ है। संघ किसी परिस्थिति की प्रतिक्रिया में शुरू नहीं हुआ, बल्कि इसका उद्देश्य समाज के भीतर हिंदुओं के समग्र विकास के जरिए राष्ट्र को मजबूत बनाना है।
ऐतिहासिक संदर्भ का उल्लेख करते हुए भागवत ने कहा कि 1857 में अंग्रेजों के खिलाफ देशव्यापी संघर्ष हुआ, लेकिन उसमें भारत को हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद तत्कालीन नेतृत्व ने आत्ममंथन किया कि प्रभावशाली राजा, सेनाएं और योद्धा होने के बावजूद मुट्ठी भर अंग्रेज कैसे देश पर हावी हो गए। उस दौर में कई लोगों का मानना था कि अंग्रेजों को सशस्त्र क्रांति के जरिए ही देश से बाहर किया जा सकता है।
स्वतंत्रता संग्राम की विभिन्न धाराओं का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि कहीं राजाओं और सेनाओं ने लड़ाई लड़ी, कहीं लोग जेल गए, तो कहीं सत्याग्रह और चरखे के माध्यम से संघर्ष हुआ। वहीं एक विचारधारा यह भी थी कि पहले समाज में सुधार जरूरी है, तभी आजादी संभव है। उन्होंने राजा राममोहन राय, स्वामी विवेकानंद और दयानंद सरस्वती का उल्लेख करते हुए कहा कि इन विचारकों ने समाज को एकजुट करने पर बल दिया।
मोहन भागवत ने कहा कि संघ को लेकर समाज में कई तरह की गलत धारणाएं फैलाई जाती हैं। कुछ लोगों को लगता है कि संघ के विस्तार से उनकी दुकानें बंद हो जाएंगी। उन्होंने यह भी कहा कि संघ को केवल एक सेवा संगठन मानना भी बड़ी भूल है। संघ को बीजेपी के नजरिये से समझना पूरी तरह गलत है और इसका मूल उद्देश्य राष्ट्र और समाज के निर्माण से जुड़ा हुआ है।







