हादी की मौत के बाद बांग्लादेश में हिंसा और अराजकता, चुनाव से पहले हालात बेकाबू

ढाका: भारत विरोधी कट्टरपंथी नेता शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद बांग्लादेश में हिंसा और विरोध प्रदर्शन भड़क उठे हैं। गुरुवार रात अचानक देश के कई हिस्सों में आगजनी, तोड़फोड़ और उपद्रव की घटनाएं सामने आईं। मीडिया संस्थानों, सांस्कृतिक केंद्रों और राष्ट्रपिता शेख मुजीबुर रहमान के आवास को भी निशाना बनाया गया। इसी दौरान ईशनिंदा के आरोपों में एक हिंदू व्यक्ति की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई, उसके शव को पेड़ से लटकाकर जला दिया गया।
शरीफ उस्मान हादी को पिछले सप्ताह ढाका में नकाबपोश बाइक सवार हमलावरों ने दिनदहाड़े गोली मार दी थी। गंभीर रूप से घायल हादी को मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार की देखरेख में एयर एम्बुलेंस से सिंगापुर ले जाया गया था, जहां कई दिनों के इलाज के बाद उनकी मौत हो गई। हादी कट्टरपंथी, भारत विरोधी और शेख हसीना विरोधी संगठन इंकलाब मंच के प्रवक्ता थे और ढाका-8 सीट से स्वतंत्र उम्मीदवार भी थे।
हादी की मौत की खबर फैलते ही राजधानी ढाका सहित कई शहरों में हालात बेकाबू हो गए। जांच एजेंसियों के अनुसार, हादी पर हमला पूरी तरह सुनियोजित था। मुख्य आरोपी फैसल करीम ने कथित तौर पर गोलीबारी से एक रात पहले ढाका के बाहरी इलाके सावर के एक रिसॉर्ट में अपनी प्रेमिका से कहा था कि अगले दिन कुछ ऐसा होने वाला है जो “पूरे बांग्लादेश को हिला देगा।” इसके कुछ घंटों बाद ही फैसल और उसके साथियों ने हादी पर हमला कर दिया।
बांग्लादेशी जांचकर्ताओं का कहना है कि इस हमले में कम से कम 20 लोग अलग-अलग भूमिकाओं में शामिल थे। रैपिड एक्शन बटालियन और पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में अब तक नौ लोगों को गिरफ्तार किया गया है। छापेमारी के दौरान भारी मात्रा में हथियार, गोलियां, मैगजीन और नकदी बरामद की गई है। जांच में यह भी सामने आया है कि हमले में इस्तेमाल की गई मोटरसाइकिल पर फर्जी नंबर प्लेट लगी थी और आरोपियों ने वारदात के बाद कई जगहों पर ठिकाने बदले।
हालांकि मुख्य आरोपी फैसल करीम और उसके साथी अभी भी फरार हैं। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में उनके भारत भागने के दावे किए गए हैं, लेकिन ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस ने स्पष्ट किया है कि उनके भारत में प्रवेश के ठोस सबूत नहीं मिले हैं। इसके बावजूद अंतरिम सरकार ने भारत से सहयोग की अपील की है। हादी की मौत और उसके बाद फैली हिंसा ने बांग्लादेश को गंभीर राजनीतिक संकट में डाल दिया है। फरवरी 2026 में होने वाले आम चुनावों से पहले देश में अस्थिरता और भय का माहौल है, जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए बड़ी चुनौती बनता जा रहा है।







