पंजाब में बाढ़ और डैम संचालन पर एनजीटी सख्त, बीबीएमबी व राज्य सरकार को नोटिस

लुधियाना। पंजाब में बार-बार आने वाली बाढ़ और डैम संचालन में कथित खामियों को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने कड़ा रुख अपनाया है। एनजीटी की प्रधान पीठ ने जनहित समिति (पब्लिक एक्शन कमेटी—पीएसी) की याचिका पर भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी), पंजाब सरकार और अन्य संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किया है।
पीएसी के सदस्यों जसकीरत सिंह और कुलदीप सिंह खैरा ने बताया कि वर्ष 2023 में डैम के इनफ्लो और आउटफ्लो डेटा के विश्लेषण के बाद पंजाब में आई बाढ़ के कारणों की जांच की मांग की गई थी। समिति का आरोप है कि अक्टूबर 2023 से बीबीएमबी ने डैम संचालन से जुड़ा अहम डेटा—जैसे जल आवक, जल निकासी और जलाशय स्तर—सार्वजनिक करना बंद कर दिया, जो इससे पहले नियमित रूप से उपलब्ध कराया जाता था।
पारदर्शिता पर सवाल
पीएसी का कहना है कि इस तरह की जानकारी का सार्वजनिक होना बेहद जरूरी है, ताकि समय रहते संभावित बाढ़ की चेतावनी जारी की जा सके। डेटा की अनुपलब्धता के कारण प्रशासन, किसान और आम नागरिक समय पर सतर्क नहीं हो पाए, जिससे बाढ़ के दौरान जोखिम और नुकसान बढ़ा।
समिति ने डैम की संरचनात्मक सुरक्षा पर भी गंभीर चिंताएं जताई हैं। पीएसी के अनुसार, बीबीएमबी की तकनीकी समिति ने उच्च जलस्तर पर डैम में डिफ्लेक्शन होने की बात स्वीकार की थी। ऐसे डिफ्लेक्शन और जलाशय के जलस्तर का सीधा असर जान-माल के नुकसान, कृषि क्षेत्र और पारिस्थितिकी तंत्र पर पड़ सकता है। एनजीटी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सभी संबंधित पक्षों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। इस मामले की औपचारिक सुनवाई मार्च 2026 के मध्य में किए जाने की संभावना है।







