पंकज चौधरी होंगे यूपी बीजेपी के नए प्रदेश अध्यक्ष, आज होगा औपचारिक ऐलान

उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को आज नया प्रदेश अध्यक्ष मिल जाएगा। पंकज चौधरी के नाम का औपचारिक ऐलान होना बाकी है, लेकिन शनिवार को लखनऊ स्थित बीजेपी दफ्तर में उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए अपना नामांकन दाखिल कर दिया था। किसी अन्य उम्मीदवार के पर्चे दाखिल न होने के कारण उनका निर्विरोध चुना जाना तय हो गया है। आज उनके नाम की औपचारिक घोषणा कर दी जाएगी।
कौन हैं पंकज चौधरी
पंकज चौधरी गोरखपुर के निवासी हैं। उनका जन्म 20 नवंबर 1964 को हुआ और उन्होंने गोरखपुर विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई की। राजनीति में आने से पहले ही उनका सामाजिक और पारिवारिक आधार मजबूत रहा है।
1989 से शुरू हुआ सियासी सफर
पंकज चौधरी ने राजनीति की शुरुआत 1989 में गोरखपुर नगर निगम के पार्षद के रूप में की। 1990 में वे बीजेपी की जिला कार्यसमिति के सदस्य बने और इसी वर्ष उप महापौर भी चुने गए। 1991 में पार्टी ने उन्हें लोकसभा चुनाव का टिकट दिया और वे पहली बार सांसद बने।
इसके बाद 1996 और 1998 में भी उन्होंने लोकसभा चुनाव जीतकर संसद में जगह बनाई। 1999 में उन्हें चुनावी हार का सामना करना पड़ा, लेकिन 2004 में उन्होंने वापसी की। 2009 में फिर हार मिली, जबकि 2014 में मोदी लहर के साथ वे दोबारा जीतकर संसद पहुंचे। 2014 के बाद से वे लगातार चुनाव जीतते आ रहे हैं। 2021 से वे केंद्र सरकार में मंत्री हैं और वर्तमान में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।
2027 विधानसभा चुनाव पर नजर
बीजेपी में प्रदेश अध्यक्ष का चयन आगामी पंचायत चुनाव और 2027 के विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखकर किया गया है। पंकज चौधरी महाराजगंज लोकसभा सीट से सात बार सांसद रह चुके हैं और कुर्मी जाति से आते हैं, जो उत्तर प्रदेश में ओबीसी वर्ग की एक महत्वपूर्ण जाति मानी जाती है।
शीर्ष नेतृत्व के भरोसेमंद नेता
पंकज चौधरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का भरोसेमंद माना जाता है। यूपी में कुर्मी समाज का राजनीतिक प्रभाव खासा अहम है। हाल के चुनावों में इस वर्ग का एक हिस्सा समाजवादी पार्टी की ओर झुका था, जिसे साधना बीजेपी के लिए जरूरी माना जा रहा है।
नई जिम्मेदारियां और चुनौतियां
प्रदेश अध्यक्ष के रूप में पंकज चौधरी के सामने संगठन और योगी आदित्यनाथ सरकार के बीच बेहतर तालमेल स्थापित करना बड़ी जिम्मेदारी होगी। 2024 के लोकसभा चुनाव में सीटों में आई गिरावट के बाद कार्यकर्ताओं में उत्साह लौटाना और संगठन को सक्रिय करना भी उनकी प्राथमिकता रहेगी।
इसके साथ ही पूर्वी यूपी से आने वाले नेता होने के कारण पश्चिमी यूपी के साथ क्षेत्रीय संतुलन बनाए रखना उनकी चुनौती होगी। 2026 के पंचायत चुनाव और 2027 के विधानसभा चुनावों की रणनीति तैयार करना, संभावित एंटी-इनकंबेंसी से निपटना और पार्टी को तीसरी बार सत्ता में लाने की तैयारी करना उनके कार्यकाल की असली परीक्षा मानी जा रही है।
समाजवादी पार्टी की पीडीए रणनीति के जवाब में ओबीसी, खासकर कुर्मी समाज को फिर से बीजेपी के पक्ष में एकजुट करना भी उनके लिए अहम होगा। नए प्रदेश अध्यक्ष के रूप में पंकज चौधरी से संगठन को मजबूती देने और चुनावी मोर्चे पर पार्टी को बढ़त दिलाने की उम्मीद की जा रही है।







