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लोकसभा में चुनाव सुधार पर जारी चर्चा, राहुल गांधी के आरोपों पर बीजेपी का पलटवार

लोकसभा में आज लगातार दूसरे दिन चुनाव सुधार पर चर्चा जारी है। इससे पहले मंगलवार को राहुल गांधी ने चुनाव आयुक्त की नियुक्ति से संबंधित मुद्दे पर सवाल उठाए थे। उन्होंने पूछा था कि आखिर क्यों चुनाव आयुक्त की नियुक्ति वाली कमेटी से CJI (मुख्य न्यायाधीश) को हटा दिया गया। इसके बाद बीजेपी ने राहुल गांधी पर जोरदार प्रहार किया और उनके आरोपों को खारिज कर दिया।

राहुल गांधी के आरोप

राहुल गांधी ने चुनाव आयुक्त की नियुक्ति को लेकर बीजेपी और RSS पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि यह बीजेपी का “प्रोजेक्ट” है, जो देश की संस्थाओं पर कब्जा करने का काम कर रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षण संस्थाओं में नियुक्तियां अब मेरिट के आधार पर नहीं, बल्कि खास संगठन से जुड़ाव के आधार पर हो रही हैं। राहुल गांधी ने यह आरोप भी लगाया कि देश की प्रमुख जांच एजेंसियां जैसे CBI, ED, और इनकम टैक्स विभाग पर बीजेपी का नियंत्रण है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग भी अब बीजेपी के कब्जे में है, जो देश की चुनाव व्यवस्था को प्रभावित कर रहा है।

इसके अलावा, राहुल गांधी ने चुनाव सुधारों के लिए कुछ मांगें भी कीं:

1. चुनाव से एक महीने पहले मशीन रीडेबल वोटर लिस्ट जारी की जाए।
2. CCTV फुटेज को डिस्ट्रॉय करने के नियम में बदलाव किया जाए।
3. चुनाव के बाद EVM (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) को जांचने के लिए उपलब्ध कराया जाए।

बीजेपी का जवाब

बीजेपी ने राहुल गांधी के आरोपों का जवाब देते हुए कई सवाल उठाए। बीजेपी ने राहुल गांधी से पूछा कि क्या वे बता सकते हैं कि कांग्रेस सरकार के दौरान कभी CJI और नेता प्रतिपक्ष वाली समिति द्वारा चुनाव आयुक्त की नियुक्ति की गई हो? बीजेपी ने दावा किया कि कांग्रेस सरकार के दौरान चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति सीधे प्रधानमंत्री के द्वारा की जाती थी, न कि किसी विशेष समिति के माध्यम से।

बीजेपी ने राहुल गांधी पर आरोप लगाया कि वे कांग्रेस सरकार के दौरान हुए फैसलों को भूल गए हैं। उदाहरण के लिए, 2005 में सोनिया गांधी ने नवीन चावला को चुनाव आयुक्त नियुक्त किया था, जबकि सोनिया गांधी के पास ऐसी नियुक्ति करने का कोई अधिकार नहीं था।

बीजेपी ने यूपीए शासनकाल के अन्य उदाहरण भी दिए, जैसे कि यूपीएससी (संघ लोक सेवा आयोग) के अध्यक्ष के रूप में कांग्रेस कार्यकर्ता बटुक सिंह का चयन और सीबीआई के डायरेक्टर के पद पर अश्विनी कुमार का नियुक्ति, जो सोनिया गांधी और राहुल गांधी के सुरक्षा अधिकारी थे।

बीजेपी ने यह भी बताया कि कांग्रेस के शासनकाल में चुनाव आयोग के पूर्व अधिकारियों को रिटायर होने के बाद सरकारी पदों पर नियुक्त किया गया था। बीजेपी ने इसे “कांग्रेस का कब्जा” और संस्थाओं का गलत तरीके से इस्तेमाल करने की नीति के रूप में देखा। लोकसभा में चुनाव सुधार पर चर्चा के दौरान यह आरोप-प्रत्यारोप का दौर लगातार जारी है, और दोनों पक्ष अपनी बात रखने में पीछे नहीं हट रहे हैं।

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