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बिहार चुनाव पर मौलाना शहाबुद्दीन रजवी का बयान: बरेलवी – देवबंदी वोटों का बंटवारा बना एनडीए की बड़ी जीत का कारण

रिपोर्टर – धीरेन्द्र सिंह, बरेली (उ.प्र.)

बरेली। आल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ़्ती शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार और बीजेपी गठबंधन की भारी बहुमत से जीत तथा कांग्रेस–राजद गठबंधन की करारी हार के पीछे एक अहम वजह है, जिसे अभी तक राजनीतिक दलों ने समझा ही नहीं है।

मौलाना रज़वी ने कहा कि वक्फ संशोधन बिल पास होने के समय मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इसका कड़ा विरोध किया था और पटना उस विरोध का केंद्र रहा। इसी दौरान रमज़ान का महीना आया और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने आवास पर रोज़ा इफ्तार का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में देवबंदी उलमा और बरेलवी सुन्नी सूफी उलमा दोनों को न्योता भेजा गया। देवबंदी उलमा ने दावतनामा लेने से इंकार कर दिया और इफ्तार का बहिष्कार किया, जबकि बरेलवी उलमा बड़ी संख्या में कार्यक्रम में शामिल हुए। इसी मोड़ पर बिहार के मुसलमान दो हिस्सों में बंट गए।

कुछ दिनों बाद बरेलवी केंद्र इदारा-ए-शरिया के प्रतिनिधि पटना पहुँचे और सरकार में बरेलवी नेतृत्व को शामिल कर पद दिए गए। मौलाना रज़वी के अनुसार यही कारण रहा कि बरेलवी मुसलमानों ने नीतीश कुमार के गठबंधन को वोट दिया, जबकि देवबंदी मुसलमानों ने कांग्रेस गठबंधन का साथ दिया। उन्होंने दावा किया कि बिहार में लगभग 60% मुसलमान बरेलवी हैं, जिसने चुनावी नतीजों में निर्णायक भूमिका निभाई।

2027 उत्तर प्रदेश चुनाव पर चेतावनी

मौलाना रज़वी ने आगामी 2027 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव का जिक्र करते हुए सपा प्रमुख अखिलेश यादव पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव कुछ दिन पहले बरेली आए थे, लेकिन दरगाह आला हज़रत पर हाज़िरी देने नहीं पहुंचे। इससे प्रदेश के बरेलवी मुसलमानों में नाराज़गी है। उन्होंने कहा कि यूपी में भी लगभग 60% सुन्नी बरेलवी मुसलमान रहते हैं और इतनी बड़ी आबादी को नज़रअंदाज़ करना समाजवादी पार्टी के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। मौलाना ने यह भी कहा कि अखिलेश यादव जब भी सहारनपुर जाते हैं तो दारुल उलूम देवबंद पहुंचते हैं और हर वर्ष लखनऊ स्थित नदवा का भी दौरा करते हैं, लेकिन बरेलवी समुदाय के सबसे बड़े केंद्र दरगाह आला हज़रत पर कभी नहीं आए।

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