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ईएमआई चुकाने के लिए क्या बेहतर है – यूपीआई या नेट बैंकिंग? जानिए दोनों के फायदे और अंतर

पिछले एक दशक में भारत की डिजिटल पेमेंट प्रणाली ने वित्तीय लेनदेन की तस्वीर पूरी तरह बदल दी है। आज किराया भेजना, बिजली का बिल चुकाना या पर्सनल लोन की ईएमआई भरना all कुछ सेकंडों में संभव हो गया है। इस डिजिटल क्रांति के केंद्र में दो प्रमुख साधन हैं यूपीआई (UPI) और नेट बैंकिंग (Net Banking)। दोनों ही सुरक्षित और भरोसेमंद हैं, लेकिन इनके उपयोग और सुविधाओं में बड़ा फर्क है। तो अगर आप ईएमआई का भुगतान कर रहे हैं, तो कौन-सा तरीका आपके लिए ज्यादा फायदेमंद रहेगा—तेज़ और सरल यूपीआई या विस्तृत नियंत्रण वाली नेट बैंकिंग? आइए समझते हैं।

नेट बैंकिंग: बड़े और नियोजित भुगतानों के लिए उपयुक्त

नेट बैंकिंग, जिसे इंटरनेट बैंकिंग भी कहा जाता है, बैंक शाखा जाए बिना खाता संचालित करने की सुविधा देती है। अपने बैंक की वेबसाइट या ऐप के माध्यम से आप पैसे ट्रांसफर, बिल भुगतान, फिक्स्ड डिपॉजिट, लोन आवेदन और ईएमआई ट्रैकिंग जैसे कार्य कर सकते हैं।इस प्रणाली में मल्टी-लेयर ऑथेंटिकेशन यानी लॉगिन आईडी, पासवर्ड और ओटीपी (OTP) जैसी सुरक्षा परतें होती हैं। यही कारण है कि बड़ी या तय राशि वाले लेनदेन, जैसे कि पर्सनल लोन की ईएमआई, के लिए यह बेहद भरोसेमंद विकल्प है।

नेट बैंकिंग के प्रमुख फायदे

बड़ी ईएमआई या निर्धारित राशि के भुगतान के लिए उपयुक्त।ऑटो-डेबिट सुविधा, जिससे भुगतान की तारीख नहीं छूटती।खाते और लोन से जुड़ी पूरी जानकारी एक ही स्थान पर उपलब्ध।मल्टी-फैक्टर सुरक्षा और मजबूत लॉगिन प्रक्रिया।फिक्स्ड डिपॉजिट, लोन स्टेटमेंट और फंड ट्रांसफर जैसी सभी सेवाएं एक प्लेटफॉर्म पर।

यूपीआई: त्वरित और आसान भुगतान का तरीका

यूपीआई (Unified Payments Interface) को नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने विकसित किया है। यह एक रियल-टाइम डिजिटल पेमेंट सिस्टम है, जो मोबाइल ऐप के जरिए कई बैंक खातों को जोड़ता है। इसकी खासियत यह है कि बैंक का नाम, खाता संख्या या IFSC कोड याद रखने की जरूरत नहीं—सिर्फ वर्चुअल पेमेंट एड्रेस (VPA) से ही ट्रांजेक्शन पूरा हो जाता है।यह सुविधा सप्ताहांत या बैंक छुट्टियों पर भी उपलब्ध होती है, जिससे ईएमआई जैसे समयबद्ध भुगतानों में देरी नहीं होती।

यूपीआई के प्रमुख फायदे

कुछ सेकंडों में ट्रांजेक्शन पूरा होता है।लंबी लॉगिन प्रक्रिया की आवश्यकता नहीं, सिर्फ यूपीआई पिन से भुगतान।तुरंत नोटिफिकेशन के जरिए भुगतान की पुष्टि।एक ऐप में कई बैंक खातों को जोड़ने की सुविधा।सुरक्षा की दृष्टि से कौन बेहतर?यूपीआई और नेट बैंकिंग दोनों ही भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के दिशानिर्देशों के तहत संचालित होते हैं और सख्त सुरक्षा मानकों का पालन करते हैं।

यूपीआई की सुरक्षा विशेषताएं

यूपीआई पिन और मोबाइल डिवाइस बाइंडिंग पर आधारित प्रणाली। वर्चुअल पेमेंट एड्रेस (VPA) के कारण बैंक अकाउंट की जानकारी साझा नहीं होती।अधिकांश धोखाधड़ी तब होती है जब उपयोगकर्ता पिन साझा करते हैं या अनजाने में फर्जी रिक्वेस्ट स्वीकार कर लेते हैं।

नेट बैंकिंग की सुरक्षा विशेषताएं

मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन, जिसमें पासवर्ड और ओटीपी शामिल हैं।यह बहु-स्तरीय सुरक्षा ढांचा अनधिकृत प्रवेश को कठिन बनाता है, भले ही प्रक्रिया थोड़ी धीमी हो।यूपीआई और नेट बैंकिंग दोनों ही सुरक्षित, भरोसेमंद और कैशलेस भुगतान के साधन हैं। अंतर सिर्फ उपयोग के संदर्भ में है नेट बैंकिंग बड़ी और नियोजित ईएमआई के लिए उपयुक्त है, जबकि यूपीआई छोटे, त्वरित और रोजमर्रा के भुगतानों के लिए सबसे आसान विकल्प साबित होता है। आपकी जरूरत और सुविधा के अनुसार ही सही माध्यम का चयन करना समझदारी होगी।

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