उन्नाव के सफीपुर अस्पताल में जलाईं गईं दर्जनों बोरी दवाएं, कई 2026 तक थीं उपयोग योग्य

उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में स्थित सफीपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) में बड़ी लापरवाही का मामला सामने आया है। अस्पताल परिसर में स्वास्थ्य कर्मियों ने करीब 10 से 12 बोरी दवाओं को जला दिया, जिनमें कई ऐसी आवश्यक दवाएं शामिल थीं जो 2026 तक उपयोग योग्य थीं। इस घटना के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है।मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉक्टर सत्य प्रकाश ने घटना का संज्ञान लेते हुए सीएचसी अधीक्षक डॉक्टर राजेश वर्मा और फार्मासिस्ट प्रेम शंकर को तत्काल प्रभाव से हटा दिया है और दोनों को सीएमओ कार्यालय से संबद्ध कर दिया गया है।
जलती हुई दवाओं को देख भड़के लोग
स्थानीय प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, जब अस्पताल परिसर से धुआं उठता देखा गया तो लोग मौके पर पहुंचे और वहां सिरप की बोतलें, इंजेक्शन और टैबलेट स्ट्रिप्स जलती हुई मिलीं। जांच करने पर पाया गया कि कई दवाएं पूरी तरह ‘एक्सपायर’ नहीं हुई थीं।सूत्रों के मुताबिक, जलाई गई दवाओं में वे दवाएं भी थीं जिनका उपयोग मौसमी बीमारियों में आमतौर पर किया जाता है। सफीपुर सीएचसी में रोजाना लगभग 250 से 300 मरीज इलाज के लिए आते हैं, जिनमें से कई को इन्हीं दवाओं की आवश्यकता होती है।
जांच के आदेश, कार्रवाई के निर्देश
सीएमओ के निर्देश पर एसीएमओ डॉक्टर एच.एन. प्रसाद ने मौके पर पहुंचकर प्रारंभिक जांच शुरू की। सीएमओ ने बताया कि मामले की जांच जारी है और जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।विभागीय सूत्रों ने बताया कि चाहे दवाओं की *उपयोग अवधि समाप्त हो चुकी हो या नहीं, उन्हें जलाना पूरी तरह गलत प्रक्रिया है। स्वास्थ्य विभाग ने साफ किया है कि दवाओं के निस्तारण के लिए निर्धारित मानक प्रक्रिया होती है, जिसे नजरअंदाज करना गंभीर लापरवाही मानी जाएगी।







